डार्जिलिंग लैंडस्लाइड: 23 मरे, उदयन गूहा व रिचर्ड लेपचा ने त्वरित राहत

डार्जिलिंग लैंडस्लाइड: 23 मरे, उदयन गूहा व रिचर्ड लेपचा ने त्वरित राहत

डार्जिलिंग में डार्जिलिंग लैंडस्लाइड ने 5 अक्टूबर 2025 को 23 जिंदगियों को थमा दिया, जिसमें बच्चे भी शामिल थे। डार्जिलिंग लैंडस्लाइडडार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल के बाद तेज़ बारिश ने पहाड़ियों को ढहा दिया, घरों को धराशायी किया और कई गाँवों को पूरी तरह अलग‑थलग कर दिया। इस आपदा में उदयन गूहा, उत्तरी बंगाल विकास मंत्री और रिचर्ड लेपचा, डार्जिलिंग उपविभागीय अधिकारी ने तुरंत बचाव‑कार्य शुरू कर दिया, परंतु गाँव‑गांव में बँधे लोग और सैकड़ों पर्यटक अभी भी मदद का इंतज़ार कर रहे हैं।

परिस्थिति का पूर्वावलोकन

डार्जिलिंग की पहाड़ी श्रृंखलाओं में बरसात के कारण होने वाले लैंडस्लाइड पहले भी कई बार हुए हैं, पर 2025 की यह घटना पिछले दस सालों में सबसे घातक रही है। इतिहास में 1899 का भयानक स्लाइड 72 लोगों की जान ले गया था, फिर 1968 में अम्बूतीआ, 1950 और 2015 में भी बड़ी तबाही हुई। इस बार मौसम विभाग ने महीने‑भर की लगातार अनियमित बवंडर‑बारिश की चेतावनी जारी की थी, फिर भी असामान्य रूप से भारी वर्षा ने पहाड़ी ख़तरे को बढ़ा दिया।

पहले दिन (4 अक्टूबर) रात में जब बारिश की तीव्रता अचानक बढ़ी, तो कई छोटे‑छोटे भूस्खलन शुरू हुए, लेकिन सरकारी चेतावनियों के बावजूद कई पर्यटक और स्थानीय लोग अपने घरों में रहना चुनते रहे।

लैंडस्लाइड के तुरंत बाद की स्थिति

सुबह 06:30 बजे तक पहाड़ी बुरे‑बुरे ढहने लगे। सबसे अधिक नुकसान मिरिक में हुआ, जहाँ 11 लोगों की मौत दर्ज हुई। जलप्रलय ने सरसली, जासबीरगांव और धार गांव (मेची) में भी कई घर तहस‑नहस कर दिया। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमने अभी तक 23 लाशें बरामद की हैं, जिसमें पाँच झालापुड़ी जिले के नागरकट्टा में मिली हैं।"

उदयन गूहा ने शाम को कहा, "अब तक मृत संख्या 20 है, आगे बढ़ने की संभावना है। मैं क्षेत्र में हूँ।" वहीं रिचर्ड लेपचा ने बताया, "डार्जिलिंग उपविभाग में सात मौतें दर्ज हैं, बचाव कार्य चल रहा है।" यह बयान स्थानीय मीडिया द्वारा तुरंत प्रसारित हुए, जिससे जनता का दिल थोड़ा‑बहुत सुकूँ पा गया।

रिस्क्यू कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट

इस आपदा में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने झील‑पार और ढहते पहाड़ों के बीच 105 लोगों को नावों से बचाया तथा जलधारा के ऊपर जिप‑लाइन के माध्यम से 55 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। दो दिन तक चलने वाले इस कार्य में कुल 12 बचाव‑टीमें, 3 हेलीकॉप्टर और कई स्थानीय स्वयंसेवक शामिल रहे।

पश्चिम बंगाल सरकार ने सिलिगुड़ी, डार्जिलिंग और जल्पहगुड़ी में आपातकालीन नियंत्रण कक्ष खोल दिए। सिविल डिफेंस, स्टेट डिसास्टर फोर्स और स्थानीय पुलिस ने मिलकर रास्ते साफ़ किए, फंसे हुए गांवों तक रसद पहुँचाया। एक स्थानीय युवा, अर्जुन दास, ने बताया, "मैंने अपने गाँव तक पहुंचने के लिए दो घंटे पैदल चलना पड़ा, फिर बचाव दल ने हमें राफ़्ट से निकाल दिया।"

  • 23 कुल मृत (18 डार्जिलिंग, 5 जल्पहगुड़ी)
  • कुल 160+ लोगों को बचाया (नाव + जिप‑लाइन)
  • पर्यटकों की संख्या लगभग 300, जिनमें से अधिकांश अभी भी बचाव के इंतज़ार में हैं
  • बाधित मुख्य सड़कों में NH‑110, डार्जिलिंग‑सिलिगुड़ी रोड और मिरिक‑डार्जिलिंग मार्ग शामिल हैं
  • स्थानीय अस्पतालों में 12 गंभीर मरीज उपचार में
प्रभावित समुदाय और आर्थिक नुकसान

प्रभावित समुदाय और आर्थिक नुकसान

डार्जिलिंग के कई छोटे‑बड़े बस्तियों में घर, खेत और बाग सब बिखर चुके हैं। स्थानीय चाय बागानों को भी भारी नुकसान हुआ है; अनुमानित नुकसान लगभग 150 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। पर्यटन उद्योग पर भी प्रहार हुआ; इस मौसम में पहाड़ी रिसॉर्ट में बुकिंग लगभग 70% गिर गई है। खिलते हुए फूलों और टेस्ला पौधों की बर्बादी ने स्थानीय लोगों का रेगुलर आय स्रोत भी बंद कर दिया।

जिन इलाकों में सड़कें कट गईं, वहाँ से वस्तुओं की आवक‑जावक पूरी तरह रुक गई, जिससे खाद्य सामग्री और दवा जैसी जरूरी चीजें स्केलेटन स्टॉक बन गईं। ग्राम सभाओं ने कहा, "हमारी छोटी-सी दुनिया अभी धूल में घुल गई है, मदद की बारीकियों की हमें अभी तक स्पष्ट जानकारी नहीं है।"

भविष्य की तैयारी और सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की आपदाओं को फिर से घटने से रोकने के लिए संरचनात्मक उपाय आवश्यक हैं। भूविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अंशु पंत ने कहा, "डार्जिलिंग की ढलानों में जल संचयन के लिए प्रभावी जल‑धारण प्रणाली नहीं है; अब इसे तुरंत स्थापित करना होगा।" उन्होंने साथ ही कहा कि पहाड़ी बस्ती‑बस्तियों में नियमित भू‑स्थिरता सर्वेक्षण और तेज़ चेतावनी प्रणाली अनिवार्य होनी चाहिए।

उदयन गूहा ने पिछले सप्ताह के अंत में एक बयान जारी किया, जिसमें नई वॉटर‑ड्रेनज सिस्टम, सतत वाइल्ड‑फ़ायर रिस्पॉन्स टीम और अधिक रिस्क मैपिंग प्रोजेक्ट की घोषणा की गई। रिचर्ड लेपचा ने स्थानीय प्रशासन को कहा, "हमें ग्रेड‑दो वेस्ट फॉल्ट मैप तैयार करके हर गाँव में सूचना बैनर लगाना होगा।" यह संकेत देता है कि राज्य सरकार आगे चलकर इस क्षेत्र में पुनर्निर्माण‑उपायों को प्राथमिकता देगी।

Frequently Asked Questions

डार्जिलिंग लैंडस्लाइड से कौन‑कौन सबसे अधिक प्रभावित हुआ?

मुख्य रूप से मिरिक, सरसली, जासबीरगांव और धारी गांव जैसे पहाड़ी बस्तियों के निवासी, साथ ही उन पर्यटन स्थल पर आए पर्यटक सबसे अधिक प्रभावित हुए। इन क्षेत्रों में घर, सड़कों और बुनियादी सुविधाओं का भारी नुकसान हुआ है।

सरकार ने तुरंत कौन‑से राहत उपाय किए?

पश्चिम बंगाल सरकार ने सिलिगुड़ी, डार्जिलिंग और जल्पहगड़ी में आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किए, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को तैनात किया, नावों और जिप‑लाइन से 160 से अधिक लोगों को बचाया, तथा सिविल डिफेंस और स्टेट डिसास्टर फोर्स को रेस्क्यू में सहयोग करने के लिए बुलाया।

भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

राज्य ने जल‑धारण प्रणाली, सतत वाइल्ड‑फ़ायर रिस्पॉन्स टीम और विस्तृत भू‑स्थिरता सर्वेक्षण को तेज़ करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, नई चेतावनी प्रणाली और ग्रेड‑दो वेस्ट फॉल्ट मैप बनाने की तैयारी चल रही है।

क्या पर्यटकों को अब डार्जिलिंग की यात्रा से बचना चाहिए?

वर्तमान में सिलिगुड़ी, डार्जिलिंग और जल्पहगड़ी के आपातकालीन कक्ष उच्च सतर्कता पर हैं। यात्रियों को आधिकारिक निर्देशों का पालन करना चाहिए, और जब तक सभी सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित न हो, यात्रा को टालना बेहतर रहेगा।

लैंडस्लाइड के आर्थिक नुकसान का अनुमान कितना है?

स्थानीय प्रशासन और आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, चाय बागानों, पर्यटन और बुनियादी ढांचे को मिलाकर नुकसान करीब 150 करोड़ रुपये हो सकता है। यह आंकड़ा अभी तक पूरी तरह सत्यापित नहीं हुआ है, लेकिन प्रारम्भिक सर्वेक्षण इस सीमा को दर्शा रहे हैं।

1 Comment

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    MD Imran Ansari

    अक्तूबर 5, 2025 AT 23:52

    डार्जिलिंग की इस बाढ़‑भारी लैंडस्लाइड में सबसे पहले सबसे गंभीर समस्या जल निकासी की थी।
    स्थानीय लोगों ने बताया कि कई वर्षा जल संग्रहण टैंक पहले से ही ओवरफ़्लो हो चुके थे।
    ऐसे में निचले क्षेत्रों में जल स्तर अस्थिर हो गया और पहाड़ी ढलानों पर घर्षण बढ़ गया।
    इस कारण ही स्लाइड का बड़ा दायरा बन गया।
    इतिहास में 1899 की त्रासदी को अक्सर याद किया जाता है, पर 2025 की स्लाइड तकनीकी रूप से अधिक विनाशकारी थी।
    वेदर सर्विस ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी, पर कई लोग उसे अनदेखा कर गए।
    पर्यटकों के बीच में एक बड़ी गड़बड़ी थी क्योंकि कई लोग बिना मार्गदर्शन के ट्रेकिंग पर निकले।
    सरकार ने तुरंत राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को तैनात किया और 12 बचाव‑टीमें भेजीं।
    जब तक राहत कार्य जारी है, स्थानीय अस्पतालों में गंभीर रोगियों की संख्या अधिक है।
    छोटे बस्तियों में जल आपूर्ति कट गई, जिससे लोगों को पानी के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा।
    चाय बागानों की फ़सल को भी विनाश का सामना करना पड़ा, जिससे आर्थिक नुकसान 150 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
    टूरिज़्म सेक्टर पर भी गहरा असर हुआ है; कई बुकिंग रद्द हो गईं।
    वैज्ञानिकों ने कहा कि इस प्रकार की अस्थिरता को रोकने के लिए भू‑स्थिरता सर्वेक्षण आवश्यक है।
    जल‑धारण प्रणाली और चेतावनी प्रणाली को तुरंत लागू करना चाहिए, जैसा कि विशेषज्ञ डॉ. अंशु पंत ने सुझाव दिया है।
    आशा है कि जल्द ही सभी बस्तियों को पूरी राहत मिलेगी और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सकेगा। 😊

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