डोडा मुठभेड़: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान
डोडा मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों को दी गई श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हुए आतंकवादी हमले में चार बहादुर जवान शहीद हो गए, जिनमें एक अधिकारी भी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। 16 जुलाई को किए गए सम्मान में सिन्हा ने इन जवानों की बहादुरी को सलाम करते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।
आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रतिज्ञा
उपराज्यपाल सिन्हा ने आतंकवादियों के नापाक इरादों को नाकाम करने की कसम खाई और कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए सभी नागरिकों को एकजुट होना होगा। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज करने के लिए सटीक और महत्वूपर्ण जानकारी प्रदान करें। इस मुठभेड़ के बाद जम्मू में कई स्थानों पर पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन भी हुए, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान पर कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया और आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
संयुक्त सर्च ऑपरेशन से मुठभेड़ की शुरुआत
यह मुठभेड़ 15 जुलाई की शाम को उस समय शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने डोडा जिले के जंगलों में एक संयुक्त घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन शुरू किया। आतंकवादी भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जवानों ने कठिन इलाके और घना जंगल होने के बावजूद उनका पीछा किया, जिससे एक और मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय शहीद हो गए।
ये मुठभेड़ पिछले तीन हफ्तों में डोडा जिले के जंगलों में तीसरी महत्वपूर्ण मुठभेड़ थी। इस घटना ने क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है और यह भी दिखाया है कि क्षेत्र में आतंकवाद की गतिविधियों को रोकने के लिए सुरक्षा बल कितने सतर्क और सक्रिय हैं।
सिन्हा ने इन शहीद जवानों की बहादुरी और उनके समर्पण की सराहना की और यह भी कहा कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार और सुरक्षा बल आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्र की एकजुटता
उपराज्यपाल सिन्हा ने इस मौके पर जनता से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ सरकार और सुरक्षा बलों का साथ दें और उन्हें आवश्यक जानकारी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि आतंकवाद केवल सुरक्षा बलों का ही नहीं, बल्कि पूरे समाज का दुश्मन है, और इसे खत्म करने के लिए सभी को एकजुट होना होगा।
सिन्हा ने यह भी कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं और उन्हें लागू करने के लिए सुरक्षा बलों को सभी आवश्यक संसाधन और सहयोग प्रदान किए जाएंगे।
आतंकवाद के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश
डोडा की इस घटना के बाद जम्मू में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन हुए, जहाँ लोगों ने पाकिस्तान पर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि वह आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
इन प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने कहा कि आतंकवादियों की गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और वे सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। लोगों की इस एकजुटता और दृढ़ संकल्प ने यह संदेश दिया कि देशवासी आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।
स्थानीय सिविल सोसाइटी की भूमिका
स्थानीय सिविल सोसाइटी की भूमिका भी इस परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। समाज के विभिन्न वर्गों को आतंकवाद के ख़िलाफ़ सरकार और सुरक्षा बलों के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। स्थानीय नागरिकों की जानकारी, सतर्कता और सहयोग से आतंकवादियों की गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें रोकने में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है।
सिन्हा ने यह भी अपील की कि लोग किसी भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।
मुठभेड़ के बाद सुरक्षात्मक उपाय
डोडा मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में सुरक्षात्मक कदम बढ़ा दिए हैं। पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन जारी है और संदिग्ध स्थानों पर नियमित निगरानी की जा रही है। सुरक्षा बलों ने कहा है कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं।
अंततः, यह मुठभेड़ आतंकवाद के खिलाफ एक और कड़ी चुनौती थी, जिसमें हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी वीरता और समर्पण को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा और उनकी शहादत से देशवासियों का आत्मबल और भी मजबूत होगा।