कांतारा: द लेजेंड‑1 के शुरुआती समीक्षाएँ, 2 अक्टूबर 2025 रिलीज़ पर धूम
जब रिषभ शेट्टी, निर्देशक‑अभिनेता और मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, तो होम्बले फिल्म्स के साथ उनका नया प्रीक्वेल कांतारा: ए लेजेंड – चैप्टर 1 कई चर्चा का बिंदु बन जाता है। यह फिल्म 2 अक्टूबर 2025 को भारत भर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली है, और पहले ही यूएई में विशेष स्क्रीनिंग के बाद 4.5/5 सितारों की रेटिंग हासिल कर चुकी है।
पिछली कहानी और नया अध्याय
2022 की कांतारा को कन्नड़ संस्कृति की गहरी समझ और बॉक्स‑ऑफिस रेकॉर्ड‑तोड़ सफलता ने ‘एक पॉप‑कल्चर आइकन’ बना दिया था। अब इस सफलता को रिषभ शेट्टी ने 2 घंटे 48 मिनट की दुरुस्त‑साइज़ कथा में फिर से बुन दिया है। फिल्म के शुरुआती समीक्षकों ने कहा, "सिर्फ़ मूवी नहीं, सिनेमा है—सभी सीन में गुइज़बम्प्स पाई गई।" यह बहाना नहीं, बल्कि बैकग्राउंड स्कोर की बी अजनेश लोकनाथ की सौंदर्यपूर्ण ध्वनि और एरविंद एस कश्यप (डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी) के दृश्य‑सम्पादन पर आधारित है, जो मूल फिल्म में भी सराहा गया था।
मुख्य कलाकार और तकनीकी टीम
फिल्म में रुक्मिणी वसंत कणाकवती की भूमिका में वापसी करती हैं, जबकि अनुभवी நடிக जयराम और गुशान देवेया क्रमशः कुलेशकरा और अन्य प्रमुख किरदार निभाते हैं। प्रोडक्शन की देखरेख विजयनंदन किरगँडुर कर रहे हैं, जिन्होंने कांतारा और केजीएफ फ़्रैंचाइज़ दोनों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
बॉक्स‑ऑफिस प्री‑सेल्स और अनुमानित आंकड़े
पिंकविल्ला के डेटा के अनुसार, हिंदी‑डब्ड संस्करण के लिए पहले ही 75,000 टिकट बुक हो चुकी हैं, जो प्रमुख चेन जैसे पीवीआर, इनॉक्स और सिनेपोलीस में बँटे हुए हैं। शुरुआती बुकिंग में थोड़ी मंदी थी, लेकिन आख़िरी क्षणों में तीव्र वृद्धि ने अनुमानित ओपनिंग कलेक्शन को ₹15‑₹20 करोड़ के बीच ले आया है। यदि गंदी जयंती (2 अक्टूबर) की छुट्टी पर दर्शकों की लहर बनी रही, तो यह संख्या और भी अधिक हो सकती है।
मुकाबला और बाजार परिप्रेक्ष्य
इसी तारीख को एक और बड़ी फ़िल्म—वरण धवन और जनवरी कपूर की ‘सनी सानस्कारी की तुलसी कु्मारी’—भी रिलीज़ होगी। दोनों फिल्में शुरुआती तीन हफ्तों में ‘क्लीन रन’ का लाभ उठाएंगी, क्योंकि दीवाली 2025 तक कोई बड़ी रिलीज़ नहीं है। इस कारण बहस चल रही है कि किसके पास अधिक ‘पहला‑दर्शक’ लाभ होगा, परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि कांतारा के जमीनी संस्कृति‑आधारित आकर्षण और होम्बले फ़िल्म्स का ब्रांड‑प्रसंग इसे एक ठोस आधार देगा।
विशेष स्क्रीनिंग और दर्शकों की प्रतिक्रिया
दुबई के प्रासाद IMAX में आयोजित सार्वजनिक स्क्रीनिंग में दर्शकों ने फिल्म के दृश्य‑प्रभाव और ध्वनि‑परिदृश्य की तालियों से भरपूर सराहा। ट्विटर पर एक उपयोगकर्ता ने लिखा: "#Kantara2FirstReview 4.5/5⭐ पागलपन… यह सिर्फ़ फ़िल्म नहीं, सिनेमा है!" इस प्रकार की सोशल‑मीडिया ध्वनि‑जाँच दर्शकों की उच्च अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
भविष्य की ओर नज़र
यह प्रीक्वेल सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि एक महाकाव्य का पहला अध्याय है, जिसका सीक्वेल और आगे की कड़ी अभी तय नहीं हुई। एनालिस्ट्स ने कहा है कि यदि दर्शक इस फिल्म को ‘सांस्कृतिक गूँज’ मानते हैं, तो यह न केवल बॉक्स‑ऑफ़िस में बल्कि कन्नड़ सिनेमा के राष्ट्रीय विस्तार में भी नई राहें खोल सकता है। इस बीच, बाज़ार में अभी भी ‘थम्मा’ और ‘एक दीवाने की दीवानीयत’ जैसी फ़िल्में दीवाली पर आने वाली हैं, जिससे कांतारा के बाद के हफ्तों में प्रतिस्पर्धा फिर से तेज़ हो जाएगी।
मुख्य तथ्य
- निर्देशक‑मुख्य अभिनेता: रिषभ शेट्ली
- प्रोड्यूसर: विजयनंदन किरगँडुर (होम्बले फिल्म्स)
- रिलीज़ तिथि: 2 अक्टूबर 2025 (गांधी जयंती)
- ड्यूरेशन: 2 घंटे 48 मिनट
- अग्रिम बुकिंग: 75,000 हिन्दी टिकट
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हिन्दी दर्शकों पर इस फिल्म का क्या असर होगा?
हिन्दी दुभाषिये के साथ कई फिल्मों की तरह, कांतारा‑1 का डबिंग बड़े‑पैमाने पर 75,000 टिकेट बुकिंग दिखाता है कि दर्शकों में गहरी जिज्ञासा है। स्थानीय भाषा‑संस्कृति को मूल रूप में रखकर फिल्म ने नॉस्टैल्जिया और नई कहानी दोनों को संतुलित किया है, जिससे बड़े शहरों और छोटे कस्बों में समान रुचि देखने को मिलेगी।
कांतारा की तुलना में इस प्रीक्वेल की कहानी कैसे अलग है?
पहली फिल्म में जड़ें, संस्कृति और पौराणिक कथाएँ प्रमुख थीं। इस अध्याय में रिषभ शेट्टी ने ‘कलेस्ट्रल बैकग्राउंड’ को आगे ले जाकर अधिक एक्शन‑भारी, भावनात्मक ताने‑बाने और संगीत‑संकल्पना को जोड़ा है। लम्बी अवधि के साथ कथा अधिक विस्तृत हो रही है, जो आगे के सीक्वेल की नींव रखेगी।
बॉक्स‑ऑफ़िस की भविष्यवाणी कौन-कौन से कारक तय करेंगे?
पहले‑दिन की टिकट बिक्री, गांधी जयंती की छुट्टी, और ‘सनी सानस्कारी की तुलसी कु्मारी’ के साथ प्रतिस्पर्धा मुख्य कारक हैं। साथ ही, यूएई और मध्य पूर्व में शुरुआती सकारात्मक समीक्षाएँ रोमांटिक प्रभाव डालेंगी, जिससे मूल गैर‑हिन्दी दर्शकों को भी आकर्षित किया जा सकता है।
क्या इस फ़िल्म में कन्नड़ संस्कृति का कोई नया पहलू दिखता है?
हाँ, रिषभ शेट्टी ने स्थानीय संगीत वाद्ययंत्रों और प्राचीन नृत्य‑शैलियों को बैकग्राउंड स्कोर में शामिल किया है। साथ ही, सेट‑डिज़ाइन में ग्रामीण कर्नाटक के वास्तु‑परम्पराओं को पुनः प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शकों को ‘संस्मरणीय’ महसूस कराता है।
fatima blakemore
अक्तूबर 1, 2025 AT 21:32कांतारा के इस प्रीक्वेल को देख कर दिल में कुछ गहरी सोच उभरती है, जैसे कोई पुरानी दास्ताँ फिर से जीवित हो रही हो। रिषभ शेट्टी की भूमिका में उनका आत्मीयता का स्पर्श महसूस होता है, मानो वो खुद ही कहानी का हिस्सा हों। थोड़ा सा टाइपो भी यहाँ‑वाँ दिखता है, पर यही असलीपन को और भी करीब लाता है।