PM Kisan 20वीं किस्त में देरी: 9.8 करोड़ किसानों को 2000 रुपये की राहत का इंतजार

PM Kisan 20वीं किस्त में देरी: 9.8 करोड़ किसानों को 2000 रुपये की राहत का इंतजार

PM Kisan 20वीं किस्त की देरी पर किसानों की बेचैनी

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan) योजना की 20वीं किस्त का इंतजार देशभर के किसानों के लिए खासा तनावपूर्ण बन गया है। जुलाई 2025 तक, यह किस्त जारी होने की उम्मीद थी, लेकिन 18 जुलाई तक यह साफ हो गया कि किसानों को 2000 रुपये की यह राशि अब और इंतजार करवाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी जब बिहार के मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में आए, तब भी इस संबंध में कोई घोषणा नहीं हुई।

हर साल करोड़ों किसान इस स्कीम का फायदा उठाते हैं। इस साल 9.8 करोड़ से ज्यादा किसानों की आशाएं इस बार की किस्त से जुड़ी हैं। पिछली, यानी 19वीं किस्त, फरवरी 2025 में दी गई थी। इसके बाद, ज्यादातर किसान चार-चार महीने में आने वाली राशि का हिसाब लगाते हैं, लेकिन इस बार इसमें देरी हो रही है।

e-KYC, दस्तावेज और पोर्टल अपडेट क्यों जरूरी?

सरकार की ओर से एक अहम शर्त यह रखी गई है कि सभी लाभार्थियों को e-KYC कराना अनिवार्य है। इसके बिना किसानों को न तो किस्त मिलेगी, न ही उनका डेटा अपडेट रहेगा। इसमें तीन तरीके दिए गए हैं—पहला, OTP बेस्ड वेरिफिकेशन जो कि पोर्टल या मोबाइल ऐप से हो सकता है। दूसरा, बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन, जिसमें नागरिक सेवा केंद्र (CSC) या सहज केंद्र (SSK) की मदद लेनी होती है। तीसरा तरीका नया है—फेस ऑथेंटिकेशन, जो मोबाइल ऐप से सीधे किया जा सकता है।

इस समय सबसे ज्यादा परेशान वे किसान हैं जो दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी या आधार-बैंक लिंकिंग की दिक्कत के चलते पिछली किस्त मिस कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें PM Kisan पोर्टल के 'विलेज डैशबोर्ड' सेक्शन पर जाकर अपनी स्थिति की जांच करनी चाहिए। यहां राज्य, जिला और पंचायत चुनकर रिपोर्ट जेनरेट की जा सकती है। साथ ही, Aadhaar-बैंक अकाउंट लिंकिंग और e-KYC की स्थिति भी जांचना आसान है।

लोग अक्सर सोचते हैं कि किस्त जारी क्यों नहीं हुई? पिछले साल 20वीं किस्त जून में आई थी, लेकिन इस बार न लॉकडाउन है, न चुनावी घोषणा, फिर भी देरी की कोई आधिकारिक वजह सरकार ने सामने नहीं रखी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जिन किसानों का डेटा सही और e-KYC कंप्लीट है, वे पोर्टल पर नजर बनाए रखें और समय-समय पर गांव के सचिव या बैंक से अपडेट लेते रहें।

गौर करने वाली बात यह है कि यह योजना सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में देती है, जिससे छोटे किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिलती है। अभी तक नई तिथि का कोई संकेत नहीं है, लेकिन अधिकारियों की मानें तो जैसे ही सब कुछ वेरीफाई हो जाएगा, भुगतान सीधे खाते में आ जाएगा।

8 टिप्पणि

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    vinay viswkarma

    जुलाई 19, 2025 AT 18:46

    इसे एक साल में हल नहीं किया जा सकता, सरकार की उदासीनता दिख रहा है।

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    sanjay sharma

    जुलाई 31, 2025 AT 08:33

    e‑KYC पूरा करके आप तुरंत भुगतान ट्रैक कर सकते हैं। पोर्टल पर अभिलेख अपडेट रखें, इससे देरी नहीं आती।

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    varun spike

    अगस्त 11, 2025 AT 23:43

    पिछली किस्त में जो त्रुटि थी उसे ठीक करना आवश्यक है ताकि नई भुगतान में बाधा न आए। प्रशासनिक प्रक्रिया को समझना भी फायदेमंद है

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    Chandan Pal

    अगस्त 23, 2025 AT 14:53

    भाई लोग, खिड़की खोलो 🙌 जल्द ही पेमेंट आएगा 🚜💰 सबको धैर्य रखना चाहिए 😊

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    SIDDHARTH CHELLADURAI

    सितंबर 4, 2025 AT 06:03

    मनोरथ न रखें 🙏 हर एक किसान के लिए सरकार जल्द ही समाधान निकालेगी 🌾💪

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    Deepak Verma

    सितंबर 15, 2025 AT 21:13

    सरकार ने योजना तो बनाई है पर कार्यान्वयन में ढील है। किसान इंतजार में टंगे हैं।

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    Rani Muker

    सितंबर 27, 2025 AT 12:23

    ध्यान रखें, सभी को अपने दस्तावेज सही रखना चाहिए ताकि किसी को छूट न हो। साथ मिलकर इस समस्या को हल करें।

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    Hansraj Surti

    अक्तूबर 9, 2025 AT 03:33

    PM Kisan की बीसवीं किस्त का इंतजार किसानों के लिए एक अनिश्चित काल की तरह महसूस हो रहा है। जब तक e‑KYC पूर्ण नहीं होता तब तक बैंक खाता भी नहीं खुल पाता जिससे भुगतान में बार-बार अड़चन आती है। हर गाँव में एक डिजिटल केंद्र होना चाहिए जहाँ किसान आसानी से अपना डेटा अपडेट कर सके। सरकार ने जो समय सीमा तय की थी वह अतीत में ही समाप्त हो चुकी है पर कोई नई तिथि नहीं दी गई। इस अनिश्चितता से न केवल आर्थिक अस्थिरता बढ़ती है बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से पोर्टल पर लॉगिन करके अपनी स्थिति जांचें। यदि कोई त्रुटि पाई जाए तो तुरंत स्थानीय बैंकर या ग्राम सचिव से संपर्क करना चाहिए। दस्तावेज़ की सही फ़ॉर्मेटिंग और आधार‑बैंक लिंकिंग को प्राथमिकता देना चाहिए। डेटा सत्यापन की प्रक्रिया में तकनीकी गड़बड़ी अक्सर देरी का कारण बनती है। इसलिए सभी स्तरों पर तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा, मीडिया को भी इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि दबाव बना रहे। जब तक तथ्यात्मक जानकारी सभी को नहीं पहुँचती तब तक नीति में सुधार नहीं हो पाता। समूह मिलकर इस समस्या को उठाना और समाधान की मांग करना सामाजिक उत्तरदायित्व है। आशा है कि अगले सप्ताह में कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे जिससे किसान राहत महसूस कर सकें। अंत में, यह याद रखना चाहिए कि नीति को लागू करने में सबसे बड़ा चालक जनता की आवाज़ ही होती है।

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