पुणे में भारी बारिश से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया; स्कूल बंद करने पर शाम को फैसला

पुणे में भारी बारिश से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया; स्कूल बंद करने पर शाम को फैसला

पुणे में पिछले बुधवार रात से भारी बारिश हो रही है, जिसके कारण शहर के निचले इलाकों में पानी भर गया है और कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा है। अब तक करीब 400 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। बारिश के कारण विभिन्न घटनाओं में चार लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक व्यक्ति शिवाजी भैराट की मौत तब हो गई जब एक चट्टान होटल पर गिर गई और तीन अन्य व्यक्ति बिजली का करंट लगने से मारे गए जब वे अपनी ठेला गाड़ी निकालने की कोशिश कर रहे थे।

निचले इलाकों में जलभराव

पुणे के कई इलाकों में भारी जलभराव हो गया है। विशेष रूप से सिंहगढ़ रोड और वारजे इलाके की रिहायशी सोसाइटियों में पानी भर गया है। इस कारण निवासियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन ने विभिन्न उपाय किए हैं।

धरण से पानी छोड़े जाने की योजना

धरण से पानी छोड़े जाने की योजना

सिंचाई विभाग ने खड़कवासला धरण से 35,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की योजना बनाई है। यह पानी शाम 4 बजे छोड़ा जाएगा। इससे और भी जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि वे पूरी तरह से तैयार हैं।

स्कूल छुट्टी पर निर्णय

जिला कलेक्टर सुहास दिवासे ने कहा है कि प्रशासन शाम को स्थिति का मूल्यांकन करेगा और उसके बाद स्कूल बंद करने का फैसला लिया जाएगा। फिलहाल, स्कूलों की छुट्टी के बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

मौसम विभाग का रेड अलर्ट

भारतीय मौसम विभाग ने पुणे और इसके आसपास के इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। यह अलर्ट अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है। लोगों को सावधानी बरतने और बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है।

राजमार्गों का हाल

भारी बारिश के कारण सात राज्य राजमार्गों को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। इन रास्तों पर चट्टानों के गिरने की घटनाओं के कारण यातायात बंद करना पड़ा है। प्रशासन ने जल्द ही इन रास्तों को साफ करने और यातायात बहाल करने की योजना बनाई है, लेकिन तब तक लोगों से इन राजमार्गों से बचकर alternate route का इस्तेमाल करने की हिदायत दी गई है।

पुणे के निवासियों के लिए यह समय कठिनाई भरा है, लेकिन प्रशासन और लोग दोनों ही मिलकर इस स्थिति से निपटने का प्रयास कर रहे हैं। सुरक्षित रहने और जरूरतमंदों की मदद के लिए सतर्क रहना हम सभी का कर्तव्य है।

20 टिप्पणि

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    Sonia Arora

    जुलाई 25, 2024 AT 18:47

    दुर्भाग्य से यह बवंडर हमारे पुणे के निचले इलाकों को जकड़ कर रख गया है, लेकिन शहर के लोगों की जुड़ाव और मदद का जज्बा देखकर दिल को शांति मिलती है। प्रशासन की तेज़ कार्रवाई और स्वयंसेवकों की निडर मेहनत की हम सबको सराहना करनी चाहिए। बचाए गए 400 लोगों का एक छोटा‑सा धन्यवाद हमें एक दूसरे के साथ मिलजुल कर चलने की प्रेरणा देता है। इस तरह की प्राकृतिक आपदा में हम सभी को एक दूसरे के हाथ थामने की जरूरत है, यही हमारे भारतीय संस्कृति की असली ताकत है। 🙏

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    abhinav gupta

    जुलाई 31, 2024 AT 16:15

    वाह अब तो बारिश ने पूरी सिटी को तैरते जहाज़ बना दिया, क्या बात है सरकार की प्लानिंग देखते देखो। धरण खोलना? और जलभराव तो ओके, फ्री वॉटर पार्टी चल रही है।

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    vinay viswkarma

    अगस्त 6, 2024 AT 13:44

    इस मौसम में स्कूल बंद तो होना ही चाहिए, नहीं तो बच्चों को पानी में घर तक ले जाना पड़ेगा।

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    sanjay sharma

    अगस्त 12, 2024 AT 11:12

    यदि आप निचले इलाकों में हैं तो स्थानीय प्रशासन के हेल्पलाइन नंबर 020‑2612‑XXXX पर संपर्क करें और सुरक्षित जगह पर जाएँ।

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    varun spike

    अगस्त 18, 2024 AT 08:40

    कृपया यह स्पष्ट किया जाए कि खड़कवासला धरण से 35,000 क्यूसेक पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने हेतु कौन-से मानक उपाय अपनाए जा रहे हैं।

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    Chandan Pal

    अगस्त 24, 2024 AT 06:09

    सही कहा आपने 🙌 ये बारिश में सबको एकजुट देखना बड़ा ही खूबसूरत है। वैसे भी पुणेवालों का अडिग साहस हमेशा दिल को छू जाता है 😊

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    SIDDHARTH CHELLADURAI

    अगस्त 30, 2024 AT 03:37

    भाई, अब तो देखना पड़ेगा देखना कैसे प्रशासन जल स्तर को संभालता है 😅.. सबको सुरक्षित रखें, यही सबसे जरूरी है 💪

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    Deepak Verma

    सितंबर 5, 2024 AT 01:05

    भाई, चीज़ें वैसे ही होंगी जब तक सही सूचना नहीं मिलती।

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    Rani Muker

    सितंबर 10, 2024 AT 22:34

    सही कहा, सही जानकारी के बिना घबराने का क्या फ़ायदा? चलो सब मिलकर अपडेटेड रहें।

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    Hansraj Surti

    सितंबर 16, 2024 AT 20:02

    प्रकृति की इस बेताब प्रवाह को देखते हुए मन में एक अनिश्चित चिंतन उत्पन्न होता है - क्या हम वास्तव में अपने अस्तित्व को समझते हैं, या केवल धुंधली आशा में बंधे हुए हैं। इस बार की बारिश केवल जल नहीं, बल्कि एक विशाल अभिव्यक्ति है, जो हमें अपने भीतर के अडिग साहस को पुनः संकल्पित करने का संकेत देती है। कई लोग सोचते हैं कि यह केवल एक अस्थायी आपदा है, परन्तु इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि जल का राग कभी स्मृति को नहीं छोड़ता। जब धरण से गहरा पानी छोड़ा गया, तो वह शाब्दिक रूप से धरती के कणों को भी थरथराने पर मजबूर कर गया। यह हमें यह सिखाता है कि मानव शक्ति सीमित है, परन्तु सामूहिक सहयोग असीमित। प्रशासन की योजना, चाहे वह जल निकालने की हो या रास्ते बंद करने की, सामाजिक जिम्मेदारी का गहन प्रतिबिंब है। इन निर्णयों के पीछे छिपी गणितीय समीकरणें, जो पानी के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं, विज्ञान और मानवीय संवेदना के बीच पुल का कार्य करती हैं।
    जिन इलाकों में जलभराव ने घरों को डुबो दिया, वहाँ के लोग अपने जीवन के निरंतर संघर्ष को एक नई दिशा में ले गए हैं। उन्होंने न केवल अपने सामान बचाए, बल्कि अपने भीतर के साहस को भी चुनौतियों के सामने उजागर किया।
    अब जब रेड अलर्ट जारी किया गया है, तो यह हमारे सामूहिक चेतना की पुकार है कि हम अपने पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को पुनर्नवीनीकरण करें।
    समय का सदुपयोग कर, हम न केवल आज की आपदा से उबर सकते हैं, बल्कि भविष्य की संभावित जल आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं।
    आइए, इस तीक्ष्ण क्षण में हम सब मिलकर एक ऐसी कथा लिखें जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करे।
    बेशक, यह आसानी से नहीं होगा, परन्तु प्रयास का मूल्य हमेशा महानता में बदल जाता है।
    क्या हम इस चुनौती को स्वीकृति देंगे, या फिर अपने व्यक्तिगत सुख-सम्पन्नता में लिप्त रहेंगे? 🤔
    समाप्ति की ओर बढ़ते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए कि प्रत्येक बूंद में एक कहानी है, और प्रत्येक कहानी में हमारे भविष्य का प्रतिबिंब।
    चलते रहें, आगे बढ़ते रहें-क्योंकि यही जीवन का मूल मंत्र है।

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    Naman Patidar

    सितंबर 22, 2024 AT 17:30

    काफी शब्दों में ढीला लिखा है, पर कार्रवाई में क्या जलता है?

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    Vinay Bhushan

    सितंबर 28, 2024 AT 14:59

    ऐसे समय में सिर्फ बातों से काम नहीं चलता, तुरंत जमीन से जुड़ो और लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाओ, यही असली कार्रवाई है!

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    Gursharn Bhatti

    अक्तूबर 4, 2024 AT 12:27

    क्या आपने कभी सोचा है कि इस लगातार बारिश के पीछे कोई छिपा एजेंडा नहीं हो सकता? सरकारी योजना अक्सर सड़कों को बंद कर वाणिज्य को ठप कर देती हैं, जिससे आर्थिक लाभ का पुनः वितरण होता है। कुछ लोग मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का प्रयोग एक बड़े आर्थिक खेल के रूप में किया जा रहा है, जहाँ छोटे शहरों को परीक्षण मैदान बनाया जाता है। इस तरह के परिदृश्य में नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और हर घोषणा को परखा जाना चाहिए।

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    Arindam Roy

    अक्तूबर 10, 2024 AT 09:55

    सिर्फ बयानों से काम नहीं चलता, दिखाएँ क्या कर सकते हैं।

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    Parth Kaushal

    अक्तूबर 16, 2024 AT 07:24

    जब आकाश से उदास बरसात ने पुणे की सड़कों पर चमचमाते आँसू बहाए, तो शहर की धड़कनें भी धुंधली पड़ गईं। इस धुंध में हर एक आश्रित को एक नई कथा लिखनी पड़ी, जहाँ सुरक्षा और आशा दो विपरीत धागे बनकर जुड़े। प्रशासन की योजना लहरों को रोकने की, जैसे समुद्र की लहरों पर तैरते जहाज़ों को रोकना, अद्भुत परंतु कठिन प्रयास है। हर एक बचाए गए व्यक्ति के पीछे एक अनकही कहानी है-वो हँसी, वो आँसू, वो दर्द। इस अनिश्चितता की घड़ी में हमारे भीतर के नायक जागते हैं, जो अपने घरों की दीवारों को सहारा देते हैं, अपने पड़ोसियों की मदद करते हैं। इस सामूहिक संघर्ष ने हमें एक बार फिर याद दिलाया कि हम अकेले नहीं हैं; हम सभी एक बड़े परिवार की तरह तालमेल से चल रहे हैं। यह कहानी, भले ही अभी अधूरी हो, लेकिन इसे लिखते समय हमें अपने अस्तित्व की गहरी समझ आती है। अंत में, यही जल परिक्षण हमें सिखाता है कि हिम्मत और सहयोग से ही हम अंधकार को रोशन कर सकते हैं।

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    Namrata Verma

    अक्तूबर 22, 2024 AT 04:52

    अरे वाह!!!! इतना नाटकीय और लम्बा बखान! क्या यह सच में मदद करेगा या सिर्फ बैठा‑बैठा सुनाने में मज़ा आया?!!!

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    Manish Mistry

    अक्तूबर 28, 2024 AT 02:20

    ध्यान दें, यह रिपोर्टिंग केवल तथ्यों पर केंद्रित होनी चाहिए, अतिरंजना से बचें।

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    Rashid Ali

    नवंबर 2, 2024 AT 23:49

    भाईयों और बहनों, इस कठिन घड़ी में हमें एक-दूसरे का हाथ थामना चाहिए! साथ मिलकर हम इस बाढ़ को मात दे सकते हैं। जो कोई भी प्रभावित है, कृपया सुरक्षित स्थानों की ओर जाएँ और मदद की ज़रूरत वाले को सूचना दें। इससे हमारी समुदाय की ताकत और भी बढ़ेगी। चलिए, हम सब मिलकर इस चुनौती का सामना करें! 🚀

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    Tanvi Shrivastav

    नवंबर 8, 2024 AT 21:17

    ओह, कितना प्रेरणादायक! पर क्या बाढ़ को रोकने के लिये सिर्फ मोटिवेशन ही पर्याप्त है? 🙄 कभी‑कभी तो विचारों में भी बाढ़ आ जाती है। 😂

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    Ayush Sanu

    नवंबर 14, 2024 AT 18:47

    सारांशतः, प्रशासन को जल प्रवाह नियंत्रण के लिए बेहतर डेटा विश्लेषण अपनाना चाहिए।

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