सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति का हिन्डेनबर्ग आरोपों पर कड़ा प्रहार
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का बयान
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने हाल ही में हिन्डेनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों को कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने इन आरोपों को 'निराधार' और 'असत्य' करार दिया, जिसमें हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने बुच दंपति पर अवैध फंडो के स्थानांतरण का आरोप लगाया था।
हिन्डेनबर्ग का आरोप
हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने अपने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि माधबी और धवल बुच का अपारंपरिक विदेशी निधियों में हिस्सा था, जिन्हें अडानी समूह की कंपनियों में अवैध निधियों के स्थानांतरण के लिए उपयोग किया गया था। इस रिपोर्ट में उनके पास व्हिसलब्लोअर के दस्तावेज, ईमेल और धवल बुच का एक पत्र भी होने का दावा किया गया था, जो मॉरीशस में एक निधि प्रशासनक के नाम था।
रिपोर्ट ने विनोद अडानी, जो कि अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के भाई हैं, द्वारा उपयोग की गई जटिल निवेश संरचनाओं का भी जिक्र किया था। हिन्डेनबर्ग के अनुसार, बुच दंपति का ग्लोबल डायनामिक ऑपर्चुनिटीज फंड में $872,762.26 का हिस्सा था, जिसे धवल बुच के नाम पर माधबी बुच की सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले ट्रांसफर किया गया था।
दंपति का जवाब
माधबी और धवल बुच ने स्पष्ट रूप से कहा कि इनके पास अपनी वित्तीय स्थिति में कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है और उनकी जिंदगी और वित्तीय स्थिति एक 'खुली किताब' है। दंपति ने बताया कि उन्होंने सेबी के तहत अपनी सभी वित्तीय जानकारियाँ पेश की हैं और वे किसी भी प्राधिकारी को अपने वित्तीय दस्तावेज दिखाने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने हिन्डेनबर्ग पर 'चरित्र हत्या' करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सेबी द्वारा हिन्डेनबर्ग के खिलाफ लागू किए गए प्रवर्तन कार्रवाई का जवाब है।
सेबी और हिन्डेनबर्ग का पुराना विवाद
यह आरोप हिन्डेनबर्ग के अडानी समूह की कथित वित्तीय अनियमितताओं पर 18 महीने पहले की गई रिपोर्ट के बाद सामने आए हैं। हिन्डेनबर्ग ने अडानी समूह पर गलत वित्तीय व्यवसायिक संचालन का आरोप लगाया था, जिसके बाद सेबी ने हिन्डेनबर्ग को उनके प्रदर्शन में कमियों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
अगले कदम
बुच दंपति ने कहा कि वे समय आने पर अपनी ओर से विस्तृत बयान जारी करेंगे। उनके इस सार्वजनिक स्टैंड ने मामलों की पारदर्शिता और साफ-सुथरे प्रशासनिक प्रक्रिया के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया है।
इस मामले ने वित्तीय नियामकों और कंपनियों के पारस्परिक संबंधों पर गहरी नजर रखने की जरूरत को उजागर किया है, खासकर जब किसी बड़े नाम के साथ जुड़ी हुई गंभीर अनियमितताओं का मामला हो। वित्तीय लिपिकता में पारदर्शिता और ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है, और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी दावों और आरोपों की उचित जांच हो ताकि सामान्य जनता का भरोसा बना रहे।