सुप्रीम कोर्ट का आईआईटी एक्सपर्ट पैनल से सुझाव, एनईईटी-यूजी विवादित प्रश्न पर लेंगे निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का आईआईटी एक्सपर्ट पैनल से सुझाव, एनईईटी-यूजी विवादित प्रश्न पर लेंगे निर्णय

एनईईटी-यूजी परीक्षा में विवादित प्रश्न का मामला सुप्रीम कोर्ट में

सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आईआईटी दिल्ली को एनईईटी-यूजी परीक्षा के एक विवादित प्रश्न के समाधान के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठित करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह निर्णय लिया है। यह मामला 5 मई को आयोजित NEET-UG परीक्षा से संबंधित है, जहां एक प्रश्न पर विवाद हुआ था।

विवादित प्रश्न और कोर्ट का आदेश

मामला यह है कि उक्त प्रश्न में दो सही उत्तर बताए गए थे, और इसके आधार पर छात्रों को अंक दिए गए। प्रश्न का उत्तर पुरानी और नई एनसीईआरटी पुस्तकों के विभिन्न संस्करणों में अलग-अलग था। याचिकाकर्ता, जिसने 711 अंक प्राप्त किए थे, ने उस प्रश्न को चुनौती दी थी, जहां छात्रों को विकल्प 2 या विकल्प 4 चुनने पर पूरे अंक दिए गए थे। याचिकाकर्ता का तर्क था कि नवीनतम एनसीईआरटी संस्करण के अनुसार केवल विकल्प 4 सही उत्तर है।

सरकार और न्यायालय की बात

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से तर्क दिया कि दोनों विकल्पों को अंक देने का निर्णय इसलिए लिया गया, क्यूंकि कई गरीब छात्र पुराने एनसीईआरटी संस्करणों का उपयोग कर रहे थे। इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने जोर दिया कि नवीनतम एनसीईआरटी संस्करण को ही मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने इस निर्णय पर सवाल उठाए कि कैसे दोनों विकल्पों को सही माना गया।

आईआईटी विशेषज्ञ पैनल का गठन

इस मामले को सुलझाने के लिए, न्यायालय ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक को तीन विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने का आदेश दिया है। यह टीम अपने सुझाव कोर्ट में मंगलवार दोपहर तक प्रस्तुत करेगी। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के याचिकाकर्ताओं की गुहार पर आधारित है, जिन्होंने एनईईटी-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

छात्रों पर प्रभाव और आगामी कदम

छात्रों पर प्रभाव और आगामी कदम

इस विवादित प्रश्न की वजह से कई छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। अब सभी की नज़रें विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं। यह मामला सिर्फ एक परीक्षा के प्रश्नों तक सीमित नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था और उसके अनुशासन से भी जुड़ा हुआ है। यह देखना अहम होगा कि न्यायालय का यह कदम छात्रों के भविष्य और शिक्षा प्रणाली में कितनी सुधार करने में सफल होता है।