दिल्ली गणेश का शानदार करियर और अमिट छाप
तमिल सिनेमा की दुनिया ने अपने एक बेहतरीन अभिनेता, दिल्ली गणेश, को खो दिया है। भारतीय फिल्म उद्योग में करीब चार दशकों तक अपने अभिनय कौशल से सबको मोहित करने वाले इस अभिनेता का निधन 9 नवंबर 2024 को हुआ। उन्होंने रात 11 बजे अपनी आखिरी सांसें लीं। उनकी निधन की खबर उनके परिवार ने आधिकारिक रूप से जारी की, जहां उनकी सांसारिक अवशेषों को अंतिम दर्शनों के लिए रामापुरम, चेन्नई में रखा गया था। अंतिम संस्कार 11 नवंबर को किया जाना तय है।
दिल्ली गणेश की प्रारंभिक जिंदगी और अभिनय की शुरुआत
दिल्ली गणेश का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था लेकिन उनकी अभिनय क्षमता ने उन्हें असाधारण बना दिया। उन्होंने 1976 में के. बालाचंदर के निर्देशन में बनी फिल्म 'पत्तिना प्रवेशम' से तमिल सिनेमा में कदम रखा। यह निर्देशक के ही निर्देशन में हुआ था कि उन्हें 'दिल्ली गणेश' का नाम मिला। गणेश अभिनेता की विविधता और क्षमता के प्रतीक थे, जो उनकी प्रारंभिक फिल्मों से ही देखी जा सकती थी।
400 से अधिक फिल्मों में गणेश का योगदान
चार दशकों तक फैले उनके करियर में उन्होंने 400 से अधिक फिल्मों में कार्य किया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें हास्य, नकारात्मक तथा सहायक भूमिकाओं में समान रूप से सफल बनाया। शायद ही ऐसा कोई दर्शक हो जो 'सिंधु भैरवी', 'नायकन', 'माइकल मदना कामा राजन', 'आहा..!', और 'तेनाली' फिल्मों में उनके अभिनय को भूल सके। गणेश ने न केवल अपनी हास्य व भावपूर्ण भूमिकाओं से दूर्लभ लोकप्रियता हासिल की बल्कि तमिल सिनेमा में अपनी स्थायी छाप भी छोड़ी।
पुरस्कार और सम्मान, एक योग्य समर्पण
दिल्ली गणेश को उनकी बेहतरीन अभिनय प्रतिभा के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। 'पासी' फिल्म में अपने अद्वितीय प्रदर्शन के लिए तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार और 1994 में प्रतिष्ठित कला कैमामणी पुरस्कार के साथ उन्हें सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता द्वारा दिया गया था।
धारावाहिक और लघु फिल्म की यात्रा
अपने करियर के बाद के चरणों में गणेश ने टेलीविजन और लघु फिल्मों में भी अपना योगदान दिया। चैन्नै के बैटमैन के रूप में उनकी भूमिका और 'धुरुवंगल पथिनारू' फिल्म में उनका संक्षिप्त लेकिन यादगार अभिनय आज भी दर्शकों द्वारा सराहा जाता है।
व्यक्तिगत जीवन और स्मरण
दिल्ली गणेश एक समर्पित अभिनेता होने के साथ-साथ एक समर्पित परिवारिक इंसान भी थे। वह अपने पीछे अपनी पत्नी, दो बेटियाँ और एक बेटे को छोड़ गए हैं। दिल्ली आधारित नाट्य समूह दक्षिण भारत नाटा सभा के सदस्य के रूप में उनके योगदान को भी भूला नहीं जा सकता।
समाज में अपनी अनोखी छवि और अभिनय शैली के लिए याद किए जाने वाले दिल्ली गणेश ने अपनी भूमिका से न केवल पर्दे पर बल्कि अपने प्रशंसकों के दिलों में भी अमिट छाप छोड़ी। उनका जाना तमिल सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान और कला को आने वाले समय में गहराई से याद किया जाएगा।
sanjay sharma
नवंबर 11, 2024 AT 07:03दिल्ली गणेश ने 400 से अधिक फ़िल्मों में कमाल का काम किया, खासकर कॉमेडी में उनका टाइमिंग लाजवाब था। उनका काम आज भी युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
varun spike
नवंबर 11, 2024 AT 07:13तमिल सिनेमा में उनका योगदान केवल अभिनेता तक सीमित नहीं बल्कि विभिन्न मंचों पर उनकी भागीदारी ने कला के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
Chandan Pal
नवंबर 11, 2024 AT 07:23भाई लोग, दिल्ली गणेश की फिल्में देख के हम सबको तमिल संस्कृति की झलक मिलती थी 😊 उनकी ‘सिंधु भैरवी’ तो हर घर में चलती थी 😂
SIDDHARTH CHELLADURAI
नवंबर 11, 2024 AT 07:33सही कहा 🎉 उनका ह्यूमर आज भी हमारे दिलों में मुस्कान लाता है 👍
Deepak Verma
नवंबर 11, 2024 AT 07:43वह बहुत काम का था लेकिन अब नहीं है।
Rani Muker
नवंबर 11, 2024 AT 07:53उसकी बहाली से कई नई पीढ़ी को सीख मिली थी, हम सभी को उसकी याद में सम्मान देना चाहिए।
Hansraj Surti
नवंबर 11, 2024 AT 08:03दिल्ली गणेश का निधन कला के अनन्त प्रवाह में एक क्षणिक रुकावट जैसा है। वह केवल एक अभिनेता नहीं बल्कि समय के साथ बदलते समाज के प्रतिबिंब थे। उनकी हर किरदार में जीवन की विविधताओं का प्रतिबिम्ब मिल जाता था। जब वह स्क्रीन पर आते थे तो दर्शक अपने अस्तित्व के सवालों को भूल जाते थे। उनकी हँसी में छिपी मधुरता ने कई पीढ़ियों को अपने कष्टों से ऊपर उठाने का मार्ग दिखाया। बिना किसी छलके उन्होंने अपने कला को सरल लेकिन गहरी भावना में ढाला। उनका कार्य हमें सिखाता है कि वास्तविकता और कलात्मकता के बीच कोई दीवार नहीं है। समय के साथ उनका अभिरुचि बदलता नहीं, बल्कि वही सच्ची भावना बनी रही। उनके किए गए 400 से अधिक फिल्में अब इतिहास की धरोहर बन गई हैं। हर फिल्म में उन्होंने अपना आत्मा डाल दिया, इसलिए वह हमेशा याद रखे जाएंगे। यदि आप टेलीविजन के छोटे स्निपेट देखे तो उनकी ऊर्जा वही रहती है। उनकी याद में हम सभी को एकजुट होना चाहिए और उनके आदर्शों को अपनाना चाहिए। ऐसे व्यक्तित्व का अभाव भविष्य के कलाकारों के लिए एक चुनौती बन जाता है। परन्तु उनके कार्यों से प्राप्त प्रेरणा नई राहें खोलती रहेगी। आइए हम सब उसकी स्मृति को सम्मान के साथ जीवित रखें 😊
Naman Patidar
नवंबर 11, 2024 AT 08:13अच्छा था लेकिन कुछ फिल्में ढीली भी लगीं।
Vinay Bhushan
नवंबर 11, 2024 AT 08:23उसकी मेहनत को देखते हुए हम आगे भी ठोस काम करेंगे
Gursharn Bhatti
नवंबर 11, 2024 AT 08:33कभी सोचा है कि उनकी फिल्मों में छुपे संदेश बड़े योजना का भाग थे, शायद वह सरकार के सांस्कृतिक प्रोपेगैंडा का हिस्सा थे, लेकिन फिर भी उनका टैलेंट अस्वीकृत नहीं किया जा सकता।
Arindam Roy
नवंबर 11, 2024 AT 08:43बोरिंग नहीं, काफी अच्छा था।
Parth Kaushal
नवंबर 11, 2024 AT 08:53जब हम उसकी फिल्मी यात्रा को गहराई से देखते हैं तो पता चलता है कि प्रत्येक भूमिका में उसने अपना आध्यात्मिक संघर्ष भी दर्शाया है। वह केवल हास्य नहीं, बल्कि दर्द और खुशी के बीच संतुलन बनाने में माहिर था। उसकी एक्टिंग में गहराई ने दर्शकों को आत्मनिरीक्षण पर मजबूर किया। प्रत्येक किरदार में उसने सामाजिक मुद्दों को बारीकी से उभारा। इसलिए उसकी मृत्यु केवल एक कलाकार का नहीं, बल्कि एक विचारधारा का अंत है।
Namrata Verma
नवंबर 11, 2024 AT 09:03ओह वाह!!! क्या बात है!!! दिल्ली गणेश जैसे महान ने कभी नहीं सोचा था कि लोग इतना जल्दी रोते-हँसते रहेंगे!!! क्या यह ही उनका अंतिम परफॉर्मेंस था?!!!