विश्व पर्यावरण दिवस पर आईटीसी ग्रैंड चोला में पारंपरिकता और स्थिरता के स्वाद का आनंद लें
विश्व पर्यावरण दिवस पर आईटीसी ग्रैंड चोला में स्थायी और पारंपरिक डाइनिंग का संगम
विश्व पर्यावरण दिवस पर, चेन्नई के आईटीसी ग्रैंड चोला होटल ने एक अद्वितीय डाइनिंग अनुभव प्रस्तुत किया है। इस अनुभव में स्थिरता के साथ पारंपरिक भारतीय भोजन का सांगठन है। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और जिम्मेदार भोजन को बढ़ावा देना है।
कार्यकारी शेफ विक्रमजीत रॉय की विशेष पहल
होटल के कार्यकारी शेफ विक्रमजीत रॉय और उनकी टीम ने एक विशेष मेनू तैयार किया है, जिसमें स्थानीय और मौसमी सामग्री का उपयोग किया गया है। इस मेनू का उद्देश्य स्थानीय किसानों का समर्थन करना और कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है। विक्रमजीत रॉय बताते हैं कि स्थानीय और ताज़ी सामग्री के उपयोग से न केवल भोजन का स्वाद बढ़ता है बल्कि यह हमारे पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होता है।
विशेष मेनू
पूरे मेनू में 'कड़ाही पनीर', 'मैसूर चेत्तीनाड चिकन', और 'भरवां बैंगन' जैसे व्यंजन शामिल हैं। इन सभी व्यंजनों में स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया गया है। उदाहरण के लिए, 'कड़ाही पनीर' में स्थानीय किसान से प्राप्त पनीर है, 'मैसूर चेत्तीनाड चिकन' में फ्री-रेंज चिकन का उपयोग किया गया है और 'भरवां बैंगन' में स्थिर रूप से उपजाए गए बैंगन का उपयोग किया गया है।
अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण के प्रति समर्पण
आईटीसी ग्रैंड चोला ने खाने के अपशिष्ट को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं। होटल में बायोडिग्रेडेबल कटलरी का उपयोग हो रहा है और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक्स की न्यूनतम उपयोग की जा रही है। इसके अलावा, आईटीसी ग्रैंड चोला ने अपनी छत पर एक बगीचा भी बनाया है, जहां से ताज़ी सब्जियां और जड़ी-बूटियाँ प्राप्त की जा रही हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति समर्पण को दर्शाती है, बल्कि मेहमानों को ताज़ी और स्वास्थ्यवर्धक भोजन भी प्रदान करती है।
इसके साथ ही, होटल में सौर ऊर्जा का उपयोग और जल संचयन प्रणाली भी स्थापित की गई है। सौर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग होटल की विभिन्न गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। जल संचयन प्रणाली के माध्यम से बारिश के पानी का संग्रहण और पुन: उपयोग किया जा रहा है, जिससे पानी की बचत हो रही है।
ग्राहकों की प्रतिक्रिया
आईटीसी ग्रैंड चोला के इस प्रयास को ग्राहकों से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। ग्राहक न सिर्फ स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन का आनंद ले रहे हैं, बल्कि अपने भोजन के साथ पर्यावरणीय जागरूकता का हिस्सा बनने पर भी गर्व महसूस कर रहे हैं। एक नियमित ग्राहक ने कहा, 'मुझे गर्व है कि मेरे पसंदीदा होटल ने पर्यावरण के लिए इतना शानदार कदम उठाया है।'
पर्यावरण रक्षा में एक कदम
यह पहल न केवल होटल की स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है बल्कि अन्य होटलों को भी प्रेरित करती है कि वे अपने संचालन में पर्यावरणीय हित को प्राथमिकता दें। आईटीसी ग्रैंड चोला का यह प्रयास एक उदाहरण है कि कैसे पर्यावरण के प्रति जागरूकता और पारंपरिक भोजन का संगम किया जा सकता है।
आगे देखने योग्य है कि यह पहल ग्राहकों और समुदाय में किस प्रकार की जागरूकता और बदलाव लाती है। इस पहल से प्रेरणा लेकर अन्य होटल और रेस्तरां भी अपने संचालन में स्थिरता को प्राथमिकता देंगे और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान देंगे।
Krishna Saikia
जून 3, 2024 AT 20:47हम सबका कर्तव्य है कि पर्यावरण की रक्षा में हाथ बँटाएँ। देश के गौरव को बढ़ाने के लिए हमें अपने संसाधनों का सम्मान करना चाहिए। आईटीसी ग्रैंड चोला जैसी पहलें यह दर्शाती हैं कि भारतीय पाक कला में स्थिरता भी हो सकती है। स्थानीय किसानों से सीधे सामग्री खरीदना न केवल आर्थिक मदद करता है बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी घटाता है। इस तरह की पहलें हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाती हैं। अगर हर होटल ऐसा कदम उठाए तो जल वायु परिवर्तन के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की जा सकती है। मौसमी सब्ज़ियों का प्रयोग करने से भोजन का स्वाद भी ताज़ा और स्वादिष्ट बनता है। बायोडिग्रेडेबल कटलरी का उपयोग प्लास्टिक को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छत पर बने बगीचे से प्राप्त जड़ी‑बूटीय पदार्थों का उपयोग भोजन में नई महक लाता है। सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण हमारी ऊर्जा ख़पत को भी घटाते हैं। वर्षा जल संचयन प्रणाली के बिना पानी बचत की कल्पना ही मुश्किल है। इस पहल को देख कर मुझे गर्व होता है कि हमारे भोजन में परम्परा और नवाचार साथ‑साथ चल रहे हैं। यह केवल एक रेस्टोरेंट की सफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास की जीत है। हमें इस ऊर्जा को पूरे देश में फैलाना चाहिए, चाहे वो छोटे गाँव हों या बड़े शहर। अंत में, चलिए हम सब मिलकर ऐसे प्रयासों को समर्थन दें और भविष्य को हरा‑भरा बनाएं।
Meenal Khanchandani
जून 3, 2024 AT 21:53पर्यावरण की रक्षा हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
Anurag Kumar
जून 4, 2024 AT 00:23स्थायी खाने की बातें सुनकर अच्छा लगा, खासकर जब स्थानीय किसानों को सहारा मिल रहा है। ऐसे मेन्यू में अगर पोषण जानकारी भी दी जाए तो और भरोसा बढ़ेगा। मैं खाने के बाद रिसाइक्लिंग टिप्स के साथ एक छोटा ब्रोशर देखना चाहूँगा।
Prashant Jain
जून 4, 2024 AT 02:53यह सब अच्छा दिखता है पर असली असर आंकड़े दिखाने चाहिए। अब तक कितनी कार्बन बचत हुई, ये बताओ।
DN Kiri (Gajen) Phangcho
जून 4, 2024 AT 05:23दोस्तों यह प्रयास आगे बढ़ते देखना प्रेरणादायक है, चलो हम सब भी छोटे‑छोटे कदम उठाएँ जैसे घर में कंपोस्ट बनाना या प्लास्टिक वापसी को कम करना। मिलकर हम बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
Yash Kumar
जून 4, 2024 AT 07:53पैसे वसूल कर रहा है क्या ये सब? हर चीज़ में बिपी सीस्टम लगाना अब क्लासिक नहीं रहा। सिर्फ दिखावा है-खाना, स्टाइल, सब।
अगर असली बदलाव चाहिए तो कीमतें घटाओ, न कि सिर्फ इवेंट्स बनाओ।
Aishwarya R
जून 4, 2024 AT 10:23वास्तव में आप सभी को नहीं पता कि स्थानीय बाजारों में एंटीबायोटिक‑फ्री प्रोडक्ट्स की उपलब्धता कितनी कम है। इसलिए ऐसे मेन्यू को लागू करना सिर्फ एक छद्म‑स्थिरता का खेल है। आपको वास्तविक सप्लाई चैन पर काम करना चाहिए।
Vaidehi Sharma
जून 4, 2024 AT 12:53भाई लोग, ये पहल देख कर मन खुश हो गया 😊 पर्यावरण के लिए एक-एक कदम ज़रूरी है, धन्यवाद! 🌱
Jenisha Patel
जून 4, 2024 AT 15:23सभी को नमस्कार, इस प्रकार की पहल के लिए हार्दिक स्वागत योग्य है; यह न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी प्रामाणिक बनाती है। आशा है कि भविष्य में और अधिक संस्थाएँ इस मॉडल को अपनाएँगी।
Ria Dewan
जून 4, 2024 AT 17:53आह, कितनी प्यारी बात है कि हम हर साल एक इवेंट कर बैठते हैं और सोचते हैं कि धरती बच गई। शायद अगली बार जब आप फंक्शन बंद करेंगे तो हवा भी थोड़ा साफ़ हो जाएगी।