वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट का भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव: नवीनतम अपडेट
केंद्रीय बजट 2025-26: निवेशकों के लिए क्या खास?
वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किया गया है। यह श्रीमती सीतारमण का लगातार आठवां बजट प्रस्तुतीकरण है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा को एक नई राह दे रहा है। इस बजट में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और घोषणाएं की गई हैं, जिनका उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। विशेष रूप से, शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं।
इस बार के बजट में टीडीएस को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। शेयर और म्यूचुअल फंड के डिविडेंड पर टीडीएस की छूट सीमा को दोगुना करके ₹10,000 कर दिया गया है। यह निर्णय खुदरा निवेशकों को उन पर कर कटौती का बोझ कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे उन्हें अधिक निवेश करने तथा दीर्घकालिक दृष्टिकोण से अपनी संपत्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
शेयर बाजार की प्रतिक्रिया और तात्कालिक प्रभाव
बजट की घोषणाओं से भारतीय शेयर बाजार को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। जहां निवेशक बड़ी उम्मीदों के साथ इस बजट में कुछ खास लाभ की उम्मीद कर रहे थे, वहीं सेंसेक्स मामूली 5 अंकों की वृद्धि के साथ बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी लाल निशान में बंद हुआ, जो बाजार की मिश्रित प्रतिक्रिया को दर्शाता है। कई वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में स्थिरता और व्याख्याओं के कारण इस बार के बजट के बड़े अप्रत्याशित प्रभाव देखने को नहीं मिल रहे हैं।
बजट के दिन बाजार की स्पेशल ट्रेडिंग सेशन को लेकर भी खासा चर्चा हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को विशेष रूप से 1 फरवरी को शनिवार के दिन खोला गया, ताकि निवेशक और व्यापारी बजट की घोषणाओं के तुरंत बाद अपनी रणनीतियों को प्रभावी बना सकें। इस प्रकार बाजार की रणनीतिक परिख्याओं को देखने का अवसर मिला, जो निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
आर्थिक सर्वेक्षण और विकास की संभावनाएं
बजट के पहले जारी हुए आर्थिक सर्वेक्षण ने सीधे तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अधिक निवेश की आवश्यकता को उजागर किया। इसके अलावा, निजी क्षेत्र के वित्तीय स्रोतों की भूमिका को भी बढ़ाने की बात कही गई। उच्चतम विकास दर बनाए रखने के लिए ये निवेश आवश्यक हैं। सरकार का इस दिशा में दीर्घकालिक योजना का संकेत देने वाला यह बजट है, जिससे आर्थिक मजबूती का मार्ग प्रशस्त होगा।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.3-6.8% के बीच में रहने की उम्मीद जताई गई है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिए यह दर 6.4% के निम्न स्तर पर गिरने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार का विपरीत अभ्यास, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के प्रयास और निवेश की नीतियाँ देश की आर्थिक सेहत को मजबूत कर सकती हैं।
विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहन
बजट के तहत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ कदम उठाए गए हैं। सरकार ने अधिग्रहण पर कर की दरों में समानता लाकर घरेलू और विदेशी निवेशकों के बीच कर परि समता बनाएं हैं। इससे विदेशी निवेश को बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों की राय और बाजार का भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बजट गैर-मुद्रास्फीति होगा, जो पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन की निरंतरता को बनाए रखेगा। नीतिगत स्तर पर सतर्कता के संकेत हैं, जिसमें आयकर दरों में कटौती के माध्यम से उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है। इस बजट की मुख्य बातों में, अधिक पूंजीगत व्यय के माध्यम से आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना शामिल है। हाल के वर्षों में बजट के बाजार पर प्रभाव कम होता देखा गया है, पर इस बार संतुलन की चुनौती देता यह बजट विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और सामाजिक कल्याण की पहल के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए निफ्टी के तेजी के संकेत देखे गए हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि पूंजीगत व्यय में किसी भी बड़े परिवर्तन या उपभोग बढ़ाने कदम पर वित्तीय सीमाएं लगाई जा सकती हैं। इसी कारण, निवेशकों को सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है।