एस जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन में एकतरफा संपर्क प्रयासों पर उठाए प्रश्न

एस जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन में एकतरफा संपर्क प्रयासों पर उठाए प्रश्न

एस जयशंकर का एससीओ शिखर सम्मेलन में संबोधन

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद में 16 अक्टूबर, 2024 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन को जोरदार तरीके से संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का आधार आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर होना चाहिए। जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार का सहयोग तभी फलदायी हो सकता है, जब वह क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की संपूर्ण मान्यता पर आधारित हो।

अपने संबोधन में उन्होंने एकतरफा प्रयासों और चुनिंदा वैश्विक प्रथाओं के आधार पर सहयोग को प्रगति में बाधक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास जिसमें व्यापार और परिवहन पर जोर होता है, वे कमजोर साबित हो सकते हैं जब तक कि वे अपने स्वार्थ पर न टिका हो। इस प्रकार की टिप्पणियाँ चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की संदर्भ में भी देखी जा सकती हैं।

तीन बुराइयाँ: आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद

जयशंकर ने सीमा-पार आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को 'तीन बुराइयाँ' कहते हुए इन्हें व्यापार, यात्रा और जनसंपर्क के लिए महत्वपूर्ण बाधाएं बताया। उनका यह बयान पश्चिम एशिया में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को धक्का पहुँचाने के प्रयासों की आलोचना के रूप में देखा जा सकता है।

जयशंकर का यह दौरा लगभग एक दशक बाद एक भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा मानी जा रही है, और यह भारतीय और पाकिस्तानी नेतृत्व के बीच पहले सहमति का आदान-प्रदान भी करता है।

शीर्ष नेताओं की मौजूदगी

मुख्य सत्र और समूह फोटो के लिए रूस, चीन, बेलारूस, मध्य एशिया के साथ-साथ ईरान के उप-राष्ट्रपति के साथ सात प्रधानमंत्री भी उपस्थित थे। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ ने जयशंकर का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह सम्मेलन आर्थिक सहयोग और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चाएं करने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ियों को एक स्थान पर लाता है।

जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान उनका स्वागत पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशिया के निदेशक जनरल, इलयास महमूद निज़ामी द्वारा नूर खान एयरबेस पर किया गया। यह सम्मेलन क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग, सुरक्षा और सांस्कृतिक औद्योगिक विकास के क्षेत्र में सहयोग पर कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की संभावना से भरा हुआ है।

एससीओ के भविष्य को लेकर चर्चा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित इस दो-दिवसीय एससीओ सम्मेलन में आर्थिक सहयोग और सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण चर्चाएं की जा रही हैं। एससीओ आर्थिक प्राथमिकता आधार, व्यापार प्रोत्साहन संगठनों के बीच सहयोग, रचनात्मक अर्थव्यवस्था में सहयोग, और नए आर्थिक संवाद कार्यक्रम पर दस्तावेजों के हस्ताक्षर प्रमुखता से चर्चा का हिस्सा होंगे। इन चर्चाओं का उद्देश्य एससीओ के सदस्यों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक प्रगति प्राप्त की जा सके।

इसके अलावा, सीमा-पार आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के मुद्दों पर रणनीतिक रूप से चर्चा की जाएगी। यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए एक कठिनाई के रूप में देखी जाती है, और इस संदर्भ में इसका समाधान अत्यधिक आवश्यक है। खासकर जब बात आर्थिक प्रगति की होती है, तो सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक होता है।

जयशंकर का दौरा और इसका महत्व

जयशंकर का दौरा और इसका महत्व

जयशंकर का इस्लामाबाद दौरा एक दशक की पहली भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के रूप में विशेष महत्व रखता है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ वर्षों में पहली उच्च स्तरीय मुलाकात थी, और इसे भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक संभावित मार्गदर्शिका के रूप में देखा जा सकता है। जयशंकर ने सम्मेलन के दौरान इस बात को रेखांकित किया कि व्यापार और आर्थिक संबंधों की उन्नति के लिए परस्पर विश्वास और सम्मान अत्यधिक आवश्यक हैं।

इस यात्रा के माध्यम से भारत ने क्षेत्रीय कोऑपरेशन के लिए तत्परता जाहिर की है, लेकिन बिना किसी प्रकार के एकतरफा प्रयासों के जो क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चोट पहुँचाते हैं। यह दौरा भारत-पाक संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने के रूप में भी देखा जा सकता है, विशेष रूप से उन मुद्दों के संदर्भ में जो सीमाओं के पार आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रभावित कर सकते हैं।

20 टिप्पणि

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    Rajesh kumar

    अक्तूबर 17, 2024 AT 01:23

    एस जयशंकर का बयान बिल्कुल झूठा नहीं, बल्कि चीन की बेल्ट एंड रोड को लेकर हमारे राष्ट्रीय हितों की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। वह स्पष्ट करता है कि एकतरफा आर्थिक प्रस्ताव केवल उनके स्वार्थी लाभ के लिए होते हैं। इस तरह के प्रयासों से भारतीय उद्यमियों को नुकसान होता है और हमारे बाजार में असमानता बढ़ती है। हमें इस दबाव को तोड़ना चाहिए और वास्तव में सहयोगी साझेदारी की तलाश करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में आर्थिक अस्थिरता ही हमारी नियति बनी रहेगी।

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    Bhaskar Shil

    अक्तूबर 17, 2024 AT 01:56

    साथियों, जयशंकर जी का यह दृष्टिकोण हमें याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग में पारस्परिक सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। आर्थिक साझेदारी का मूलभूत आधार पारदर्शिता और दोनों पक्षों की सुरक्षा होनी चाहिए। यदि हम सिर्फ बड़े प्रोजेक्ट्स की ओर झुकते हैं तो छोटे उद्योगों को बाहर कर सकते हैं। इसीलिए नीति निर्माताओं को व्यापक परामर्श प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जहाँ सभी हितधारकों की आवाज़ सुनी जाए।

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    Halbandge Sandeep Devrao

    अक्तूबर 17, 2024 AT 02:30

    उपरोक्त तर्कों को देखते हुए, अंतर-सांस्कृतिक आर्थिक मॉडल में बहुपक्षीय संरचना का अभाव जोखिम कारकों को बढ़ाता है। मौद्रिक नीतियों का सामंजस्य, नियामक ढांचे की सामंजस्यता, तथा सतत विकास के बिंदु प्रमुख तत्व हैं। यदि हम केवल अभिप्रेत निवेश की मात्रा पर केंद्रित रहेंगे, तो दीर्घकालिक स्थिरता पे प्रश्नचिह्न लगेगा। इस कारण, बहु-स्तरीय फ्रेमवर्क को लागू करना अनिवार्य होगा।

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    One You tea

    अक्तूबर 17, 2024 AT 03:03

    इस बयान में कुछ तो बात है, पर क्या इसका असर हमारी असली समस्याओं पर पड़ रहा है? बेवकूफी नहीं, हमें धरती पर अपने मुद्दे सुलझाने चाहिए। BRI को लेकर इतना खींचना वाकई बेकार है।

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    Hemakul Pioneers

    अक्तूबर 17, 2024 AT 03:36

    जैसा कि हमने देखा, आर्थिक सहयोग और सुरक्षा दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि सीमा पर आतंकवाद नहीं घटेगा तो व्यापार भी नहीं बढ़ेगा। इसलिए हमें सामूहिक रणनीति बनानी होगी। एक-दूसरे के सुदृढ़ सहयोग से ही हम स्थायी प्रगति देखेंगे।

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    Shivam Pandit

    अक्तूबर 17, 2024 AT 04:10

    बिलकुल सही कहा आपने! सहयोगी मंचों पर खुली चर्चा और स्पष्ट कार्यवाही आवश्यक है; इस तरह की पहल से हम सभी को लाभ मिलेगा; आइए हम मिलकर कदम बढ़ाएं;

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    parvez fmp

    अक्तूबर 17, 2024 AT 04:43

    यार, इस सब में एक ड्रामा भी है! 🤣 चीन की BRI को लेकर सबको लापरवाह बना दिया। शायad हमें अपनी ही कहानी में फंसना नहीं चाहिए।

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    s.v chauhan

    अक्तूबर 17, 2024 AT 05:16

    देखा तुमने, बहुत ज़्यादा इमोजी‑फ्री हो गए! पर बात सही है, हमें अपनी नीति में दृढ़ रहना चाहिए, चाहे जो भी हो।

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    Thirupathi Reddy Ch

    अक्तूबर 17, 2024 AT 05:50

    सभी को पता है कि यह सम्मेलन चीन के लिए एक बड़ी जीत है, और हमारे लिए यह सिर्फ दिखावे का हिस्सा है। वे सब कुछ छुपा रहे हैं, जैसे कि बैकडोर डील्स।

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    Sonia Arora

    अक्तूबर 17, 2024 AT 06:23

    निगरानी को बढ़ाना और पारदर्शिता की मांग करना ही हमारा कर्तव्य है; यह कदम आगे चलकर सभी को सुरक्षित रखेगा।

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    abhinav gupta

    अक्तूबर 17, 2024 AT 06:56

    वाह, जयशंकर की बात तो बिल्कुल बोरिंग है, लेकिन वास्तविकता में उनका कहना थोड़ा सही है, है ना?

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    vinay viswkarma

    अक्तूबर 17, 2024 AT 07:30

    ऐसी बातें सुनना थकाऊ है।

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    sanjay sharma

    अक्तूबर 17, 2024 AT 08:03

    जिन्हें सहयोग चाहिए, उन्हें स्पष्ट दिशानिर्देश चाहिए।

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    varun spike

    अक्तूबर 17, 2024 AT 08:36

    क्या आप इस मुद्दे पर विस्तृत डेटा प्रदान कर सकते हैं?

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    Chandan Pal

    अक्तूबर 17, 2024 AT 09:10

    भाई, इस सम्मेलन में सबका अपना‑अपना खेल है, लेकिन हम भारत की आवाज़ नहीं भूल सकते 😎

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    SIDDHARTH CHELLADURAI

    अक्तूबर 17, 2024 AT 09:43

    बिलकुल! आप जैसा विचार रखो, हमें आगे बढ़ना है 🚀

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    Deepak Verma

    अक्तूबर 17, 2024 AT 10:16

    बिल्कुल, नहीं तो सब कुछ बेकार है।

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    Rani Muker

    अक्तूबर 17, 2024 AT 10:50

    मैं समझती हूँ कि हमें एक संतुलित दृष्टिकोण चाहिए, लेकिन इसे अपनाने में समय लग सकता है।

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    Hansraj Surti

    अक्तूबर 17, 2024 AT 11:23

    एस जयशंकर के इस भाषण में उन्होंने स्पष्ट रूप से क्षेत्रीय संप्रभुता की महत्ता को दोहराया है।
    वह यह इंगित करते हैं कि किसी भी आर्थिक गठबंधन में आपसी सम्मान का होना अनिवार्य है।
    शंघाई सहयोग संगठन का मंच सिर्फ द्विपक्षीय समझौते का नहीं, बल्कि बहुपक्षीय सहयोग का प्रतीक होना चाहिए।
    हालांकि, एकतरफा पहलें अक्सर देशों के बीच असंतुलन पैदा करती हैं और दीर्घकालिक स्थिरता को खतरे में डालती हैं।
    बेल्ट एंड रोड जैसी परियोजनाएँ प्रारंभ में आकर्षक लग सकती हैं, पर उनका वास्तविक लाभ स्थानीय उद्योगों को कितना करता है, यह एक प्रश्न है।
    यदि इन पहलों में पारदर्शिता की कमी रहती है तो भ्रष्टाचार और आर्थिक शोषण के जोखिम बढ़ते हैं।
    जैसे ही हम सीमा‑पार आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं, हमें सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
    सुरक्षा के बिना कोई आर्थिक विकास स्थायी नहीं रह सकता, यही बात अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हमेशा सत्य रही है।
    एससीओ के सदस्य देशों को चाहिए कि वे सामूहिक रणनीति बनाकर इन बुराइयों को समाप्त करने के लिए सहयोग करें।
    साथ ही, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियम‑बद्ध ढाँचे को स्थापित करना आवश्यक है।
    इन नियमों में न्यायसंगत अनुपालन, पर्यावरणीय संरक्षण, और मानव अधिकारों का सम्मान शामिल होना चाहिए।
    भविष्य में यदि हम इन सिद्धांतों पर टिके रहें तो एशिया‑पैसिफिक क्षेत्र में शांति और समृद्धि का निर्माण संभव होगा।
    एक स्थायी आर्थिक सहयोग मॉडल तभी काम करेगा जब प्रत्येक सदस्य राष्ट्र अपनी संप्रभुता को सम्मान दे और अन्य की भी सुरक्षा को महत्व दे।
    यह न केवल व्यापार को बढ़ाएगा बल्कि सामाजिक संबंधों को भी सुदृढ़ करेगा, जिससे लोग आपस में अधिक विश्वास करेंगे।
    अंत में, जयशंकर जी की यह अपील सभी देशों के लिए एक संकेत है कि सहयोग को संतुलित, पारदर्शी और सम्मानजनक आधार पर ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

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    Naman Patidar

    अक्तूबर 17, 2024 AT 11:56

    आलोचना का महत्व है, लेकिन हमें रचनात्मक समाधान की ओर भी देखना चाहिए।

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