कैसे कश्मी पटेल बने FBI के निदेशक?

कैसे कश्मी पटेल बने FBI के निदेशक?

FBI का नेतृत्व किसके हाथों में?

कश्मी प्रमोद पटेल का चयन नेशनल पुलिस संघ (एनपीए) के लिए एक बड़ा गतिपरिवर्तन साबित हुआ है। न्यूयॉर्क में भारतीय-गुजराती परिवार में जन्मे कश्मी पटेल ने अपने माता-पिता की उम्मीदों को पार करते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी के निदेशक का पद प्राप्त किया। उनके इस पद पर पहुँचने के पीछे की कहानी में कई रोचक मोड़ हैं।

कश्मी पटेल की नामांकन प्रक्रिया ने भरपूर चर्चा जुटाई। वे अमेरिकी सीनेट से मात्र 51-49 के वोट से चुने गए, यह प्रक्रिया किस प्रकार विवादित रही इसकी एक झलक भी देखने को मिली। यह स्थिति एक ऐसे समय में आई जब उन्होंने ट्रंप प्रशासन के दौरान Nunes मेमो की रचना की। इस मेमो का उद्देश्य था FBI की रूस की जांच को कमज़ोर करना। इसी के चलते पटेल को ट्रंप का करीबी माना जाता है। नेशनल सुरक्षा और *राष्ट्रीय सुरक्षा* जैसे विषयों पर जोर देने के बावजूद, कश्मीर पटेल का आलोचना में घिर जाना कोई नई बात नहीं है।

विवाद और चुनौतियाँ

विवाद और चुनौतियाँ

कश्मी पटेल के निदेशक पद के पुष्टि के बाद कुछ रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच उनकी नियुक्ति को लेकर मतभेद उभरे। आलोचक कहते हैं कि पटेल का *राजनीतिक पक्ष* FBI की निष्पक्षता को खतरे में डाल सकता है।”

2020 के चुनाव के परिणामों को पलटने के प्रयास में शामिल होने और वैकल्पिक राजनीतिक पक्ष के लोगों को निशाना बनाने जैसी गतिविधियों में पटेल का नाम जुड़ चुका है। 6 जनवरी को कैपिटल दंगे की सुनवाई के दौरान उन्हें 'अविसनीय' गवाह के रूप में दर्ज किया गया था। इन सबके बावजूद, पटेल का एक मजबूत दावा है कि वे FBI में विश्वसनीयता को फिर से मजबूत करेंगे और राजनीतिक पक्षपात को कम करने के लिए सब कुछ करेंगे।

उनकी नियुक्ति के पीछे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या वे वाकई FBI में सुधार कर सकेंगे या नहीं? पटेल का कहना है कि वे मुख्यालय के अधिकारियों को फील्ड ऑफिस में स्थानांतरित करके, एजेंसी के गुप्तचर फोकस को कम करके और हिंसा संबंधित अपराध और *राष्ट्रीय सुरक्षा* पर ध्यान केंद्रित करके इस चुनौती को पूरा करेंगे।