मोहनलाल के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के भावनात्मक क्षण, शाहरुख़ खान और रानी मुखर्जी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत

मोहनलाल के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के भावनात्मक क्षण, शाहरुख़ खान और रानी मुखर्जी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत

समारोह की मुख्य झलक

नयी दिल्ली में आयोजित 71वीं राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह औपचारिक कार्यक्रम अध्यक्षता किया। मंच पर सर्दियों की ठंडी हवा के साथ आलोकित रोशनी का माहौल था, जहाँ सितारों, निर्देशक, तकनीशियन और उद्योग के दिग्गजों की भीड़ जमा थी। इस वर्ष का मुख्य आकर्षण था दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, जिसे भारतीय सिनेमा के दिग्गज मोहनलाल को सम्मानित किया गया। मंच पर उनके भावनात्मक आँसू कई लोगों के दिल को छू गए, क्योंकि यह सम्मान उनकी दशकों लंबी कलात्मक यात्रा का समापन‑संकल्प था।

शाहरुख़ खान ने प्रथम बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता श्रेणी में अपनी जगह बनाई। रोमांस से लेकर सामाजिक मुद्दों को उठाने वाली फ़िल्मों तक, उनकी बहुमुखी प्रतिभा इस सम्मान में परिलक्षित हुई। उसी शाम विक्रांत मैसी को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का द्वितीय पुरस्कार मिला, जिसने उनकी चमकते हुए करियर को नया आयाम दिया। रानी मुखर्जी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान मिला, जिससे यह साबित हुआ कि वह एक दशक से अधिक समय से भारतीय सिनेमा में विविध किरदारों को बखूबी निभा रही हैं।

तकनीकी श्रेणियों में भी कई उल्लेखनीय नाम उभरे। नंदु‑पृष्ठवाई द्वारा निर्मित 'हैनु मान' को सर्वश्रेष्ठ एक्शन निर्देशन का पुरस्कार मिला, जबकि वैभवी मर्चेंट की 'डिंधोरा बजे रे'—रॉकि और रानी की प्रेम कहानी—को सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के रूप में सराहा गया। संगीत दिशा में जी.वी. प्रकाश कुमार और हार्शवर्धन वामेश्वर ने एक ही साल दो फ़िल्मों—'वाथी' और 'ऐनिमल'—के लिए संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का ख़िताब साझा किया।

विभागीय विजेताओं की उपलब्धियां

विभागीय विजेताओं की उपलब्धियां

राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न भाषाओं में बनी फ़िल्मों को भी समान मान्यता मिली। हिन्दी फिल्मों में 'कथाल' को सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म का अवॉर्ड मिला, जबकि तमिल सिनेमा में 'पार्किंग' को सर्वश्रेष्ठ तमिल फ़िल्म के रूप में चुना गया। तेलुगु फ़िल्म 'भगवंत केसरि' को सर्वश्रेष्ठ तेलुगु फ़िल्म का ख़िताब दिया गया, जिसने सामाजिक संघर्षों को मार्मिक ढंग से पेश किया। मराठी फ़िल्म 'श्यामची आई' ने भी इस श्रेणी में अधिकारी तौर पर पहचान हासिल की।

  • सर्वश्रेष्ठ मलयालम फ़िल्म – 'उल्लोज़ुक्कु'
  • सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फ़िल्म – 'कंदीलु'
  • सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फ़िल्म – 'डीप फ्रिज'

तकनीकी पुरस्कारों में शृंगारिकता को भी महत्व दिया गया। 'साम बहादुर' ने सर्वोत्तम मेकअप और सर्वोत्तम कॉस्ट्यूम डिजाइन दोनों में जीत हासिल की, जिससे इस फ़िल्म की पृष्ठभूमि और किरदारों की सटीक प्रस्तुति को सराहा गया।

समग्र तौर पर 71वीं राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह ने भारतीय सिनेमा की विविधता, विभिन्न भाषा क्षेत्रों की समृद्धि और कलाकारों एवं तकनीकी कर्मियों की अद्भुत मेहनत को उजागर किया। राष्ट्रपति मुर्मु की उपस्थिति ने इस आयोजन को गरिमा और महत्व दिया, जिससे यह कार्यक्रम भारतीय फ़िल्म उद्योग के लिये एक यादगार अध्याय बन गया।