जब हम ब्रेन ऑर्गनॉइड, एक 3‑डायमेंशनल मानव मस्तिष्क मॉडल है जो प्रयोगशाला में स्टेम सेल से बनता है. मस्तिष्क ऑर्गेनियम की बात करते हैं, तो यह कहना सही होगा कि यह जटिल न्यूरल नेटवर्क को छोटे पैमाने पर पुनः बनाता है, जिससे रोग‑विशिष्ट अध्ययन और दवा स्क्रिनिंग संभव होती है। इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य जीवित मस्तिष्क के व्यवहार को सिमुलेट करना है, जबकि नैतिक बाधाएँ नहीं आतीं।
ब्रेन ऑर्गनॉइड दो प्रमुख घटकों पर निर्भर करता है: न्यूरॉन्स, मस्तिष्क के कार्यात्मक सेल जो सिग्नल ट्रांसमिट करते हैं और स्मृति, सोच, भावना को नियंत्रित करते हैं और स्टेम सेल, बहुकार्यात्मक मूल कोशिकाएँ जो विभिन्न न्यूरल टाइप में विभेदित हो सकती हैं। न्यूरॉन्स को सही ढंग से व्यवस्थित करने के लिए स्टेम सेल की प्लुरिपोटेंट क्षमता आवश्यक है; यही कारण है कि ब्रेन ऑर्गनॉइड को विकसित करने में रीयप्रोग्रामिंग तकनीक, जैसे iPSC (इंड्यूस्ड प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल), अहम भूमिका निभाते हैं।
इन बुनियादी इकाइयों के अलावा, प्रोटोकॉल में अक्सर दवा परीक्षण, फ़ार्मास्युटिकल कमपाउंड्स की प्रभावशीलता और सुरक्षा को इन‑विट्रो मॉडल में परखना शामिल होता है। क्योंकि ऑर्गनॉइड मानव मस्तिष्क के करीब होते हैं, एंटी‑डिप्रेसेंट, एंटी‑एपिलेप्टिक या कैंसर दवाओं के रिस्पांस को अधिक सटीक रूप से मापा जा सकता है। इस संदर्भ में, रोग मॉडल जैसे अल्ज़ाइमर, पार्किंसन या ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस को इन‑विट्रो रूप में पुनः निर्मित किया जा सकता है, जिससे बायोमार्कर खोज और थेरेपी विकास तेजी से होते हैं।
तकनीकी तौर पर, 3‑डी बायोप्रिंटिंग और माइक्रॉफ़्लूडिक चिप्स भी ब्रेन ऑर्गनॉइड की जटिलता बढ़ाते हैं। बायोप्रिंटिंग के माध्यम से रक्त‑मस्तिष्क बाधा (BBB) को मॉडल किया जा सकता है, जबकि माइक्रॉफ़्लूडिक प्लेटफ़ॉर्म में कई ऑर्गनॉइड्स को समानांतर चलाकर हाई‑थ्रूपुट ड्रग स्क्रीनिंग संभव हो जाती है। ये प्रगति इस बात की पुष्टि करती हैं कि ब्रेन ऑर्गनॉइड अब केवल प्रयोगशाला की गैजेट नहीं, बल्कि दवा उद्योग और क्लिनिकल रिसर्च में मुख्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बन गया है।
बाजार में नई कंपनियों के लॉन्च और विश्वविद्यालयों के सहयोग से इस क्षेत्र के विकास में गति आ रही है। प्रत्येक नई रिपोर्ट यह बताती है कि ऑर्गनॉइड‑आधारित प्रयोग कैसे जीन‑एडिटिंग (जैसे CRISPR‑Cas9) के साथ मिलकर जटिल न्यूरॉन्स‑विशिष्ट रोग जीन को टारगेट कर सकते हैं। इस तरह, ब्रेन ऑर्गनॉइड केवल अध्ययन का साधन नहीं, बल्कि जीन‑थेरेपी के प्री‑क्लिनिकल परीक्षण का भी बुनियादी प्लेटफ़ॉर्म बन रहा है।
इन सब बिंदुओं को समझने के बाद आप नीचे दी गई लेख सूची में देखेंगे कि कैसे विभिन्न समाचार और रिपोर्टें इस तकनीक के अलग‑अलग पहलुओं को उजागर करती हैं—चाहे वह स्टेम सेल‑आधारित विकास हो, नया दवा परीक्षण केस स्टडी हो, या बायोप्रिंटिंग के नवीनतम प्रयोग। इस संग्रह में आपको ब्रेन ऑर्गनॉइड से जुड़ी अपडेटेड जानकारी, भारत और विश्व के वैज्ञानिकों के योगदान, और भविष्य के संभावित इम्पैक्ट के बारे में विस्तृत लेख मिलेंगे। चलिए, आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कौन‑से दिलचस्प पहलू हमारे सामने आते हैं।
स्वीडिश वैज्ञानिकों ने मानव स्टेम‑सेल से मिनी‑ब्रेन ऑर्गनॉइड बनाकर पहला जीवित कंप्यूटर तैयार किया, जिससे चिकित्सा और ऊर्जा दोनों में नई संभावनाएँ सामने आईं।
सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली को एनईईटी-यूजी परीक्षा के विवादित प्रश्न के समाधान के लिए विशेषज्ञ पैनल बनाने का आदेश दिया है। इस प्रश्न के आधार पर छात्रों को पुरानी और नई एनसीईआरटी पुस्तकों के विभिन्न संस्करणों से अंक दिए गए थे। मामला छात्रों द्वारा उठाए गए अनियमितताओं के जरिये सामने आया था।
पूर्व NCB अधिकारी Sameer Wankhede ने दिल्ली हाईकोर्ट में Shah Rukh Khan, Gauri Khan, Netflix और अनेक प्रोडक्शन कंपनियों को 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग करते हुए डिफेमेशन केस दायर किया है। वह कहानी बताता है कि Netflix की वेब‑सीरीज़ ‘The Bastards of Bollywood’ में उसका चित्रण झूठा और बदनाम करने वाला है। केस 2021 के ड्रग बस्ट और 2023 के भ्रष्टाचार मामले के बीच आता है, जिससे फिल्म‑इंडस्ट्री और कानून व्यवस्था के बीच तनाव फिर से उजागर हो रहा है।
कोच ग्रेग बेरहाल्टर को टिम वेह के दो मैचों के निलंबन के बाद अपनी शुरुआती लाइनअप में बदलाव करना पड़ रहा है। USMNT का मुकाबला उरुग्वे से होगा, जो कोपा अमेरिका क्वार्टरफाइनल की उम्मीदें बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
ओपनएआई के सह-संस्थापक और मुख्य वैज्ञानिक इल्या सुत्स्केवर ने लगभग एक दशक तक कंपनी में काम करने के बाद इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि कंपनी की प्रगति अद्भुत रही है। सीईओ सैम अल्टमैन ने सुत्स्केवर की प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने क्षेत्र का दीपक और प्रिय मित्र बताया।
पोप फ्रांसिस ने 21 नए कार्डिनल्स की घोषणा की है, जिसके चलते कार्डिनल कॉलेज का आकार काफी बड़ा हो गया है। इनमें से एक कार्डिनल तोरंटो के आर्चबिशप फ्रांसिस लियो हैं। नए कार्डिनल्स 8 दिसंबर को कंसीस्टरी नामक समारोह में अपने लाल टोपी प्राप्त करेंगे। इस नियुक्ति से पोप फ्रांसिस का प्रभाव और गहरा हो गया है, जिसका असर भविष्य में उनके उत्तराधिकारी के चुनाव पर पड़ेगा।