नानक साहिब: सिख धर्म के संस्थापक की जीवनी, शिक्षाएँ और उनका आधुनिक प्रभाव

जब बात आती है नानक साहिब, सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, जिन्होंने 15वीं शताब्दी में भेदभाव और रिवाजों के खिलाफ एक सामाजिक क्रांति शुरू की. इन्हें गुरु नानक भी कहा जाता है, और ये नाम आज भी लाखों लोगों के दिलों में जीवित है। ये केवल एक धार्मिक आकृति नहीं हैं—ये एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने ईश्वर को नाम, जाति या धर्म से अलग कर दिया। उनका संदेश था: सब इंसान बराबर हैं, और ईश्वर की भक्ति बिना किसी बाधा के हो सकती है।

उनकी शिक्षाओं का आधार था—सिख धर्म, एक एकेश्वरवादी धर्म जिसने भारत में भेदभाव के खिलाफ एक नया रास्ता खोला, जिसका जन्म नानक साहिब के जीवन और यात्राओं से हुआ। इन्होंने 13,000 किमी से अधिक की यात्रा की, जिसमें भारत के हर कोने से लेकर तिब्बत, अरब और फारस तक शामिल था। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने अलग-अलग धर्मों के लोगों से बातचीत की, और हर जगह एक ही संदेश दिया: ईश्वर का नाम जपो, सच्चाई बोलो, और दूसरों की सेवा करो। ये तीन बातें आज भी सिख धर्म के तीन स्तंभ हैं।

उनकी विरासत आज भी जीवित है—गुरु नानक, एक ऐसा नाम जो बस एक इतिहास नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। हर साल नवरात्रि के बाद आने वाला गुरु नानक जयंती दुनिया भर में मनाया जाता है। गुरुद्वारे में लोग भीड़ लगाते हैं, और गुरु ग्रंथ साहिब की आरती होती है। वहाँ का लंगर, जहाँ कोई भी जाति, धर्म या आय के आधार पर भोजन कर सकता है, यही उनकी शिक्षा का सबसे बड़ा प्रमाण है। ये बात आज भी किसी भी सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए प्रेरणा है।

आपके सामने जो लेख आ रहे हैं, वे सब नानक साहिब की विरासत को छूते हैं—कुछ उनके जीवन की घटनाओं पर, कुछ उनकी शिक्षाओं के आधुनिक अर्थ पर, और कुछ उनके नाम से जुड़े त्योहारों या स्थानों पर। ये सब आपको बताएंगे कि एक 15वीं शताब्दी के व्यक्ति की सोच आज भी कैसे लाखों लोगों के दिन को बदल रही है।

गुरु नानक जयंती 2025: 556वें जन्मोत्सव पर सिख समुदाय ने दुनिया भर में मनाया अहिंसा और समानता का पर्व

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गुरु नानक जयंती 2025 को दुनिया भर में मनाया गया, जहाँ लंगर, नगर कीर्तन और अखंड पाठ के माध्यम से गुरु नानक देव जी के समानता और सेवा के संदेश को जीवंत रखा गया।

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