राजनीतिक परिवार से मतलब है वो घराने जिनके कई सदस्य चुनकर आते हैं या पार्टी में असर रखते हैं। भारत में यह आम बात है: नेहरू-गांधी, यादव परिवार, ठाकरे, अब्दुल्ला और कई राज्य स्तर के घराने राजनीति में बार‑बार दिखते हैं। यही वजह है कि चुनाव के समय नाम ही एक बड़ा फैक्टर बन जाता है।
लेकिन क्या राजनीतिक परिवार सिर्फ नकारात्मक हैं? नहीं। कुछ मामलों में परिवार का अनुभव और नेटवर्क तेज काम करता है — सरकारी काम जल्दी चलता है, संसाधन जुटते हैं। दूसरी ओर, जब वही परिवार नेताओं की जगह पर केवल रिश्तेदारी के आधार पर पद बाँटता है, तो मेरिट और जवाबदेही कम हो जाती है।
पहला कारण है नाम और पहचान। जब परिवार लंबे समय से सत्ता में रहा हो, तो उसका नाम वोटरों के बीच भरोसा या पहचान बनाता है। दूसरा, संसाधन — पैसा, पार्टी का नेटवर्क और मीडिया कनेक्शन — परिवारों के पास आसानी से मिल जाते हैं। तीसरा कारण सामाजिक आधार: कई परिवार जाति, धर्म या क्षेत्र के मजबूत प्रतिनिधि होते हैं।
चारth वजह है उम्मीदवार तैयार करना। राजनीतिक परिवार अक्सर लोगों को चुनावी अनुभव, पार्टी‑काम और रणनीति सिखाते हैं, इसलिए नए चेहरे उतारने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
नाम से प्रभावित होना आसान है। पर असली सवाल यह है: क्या उस व्यक्ति ने लोकहित में काम किया? यहाँ कुछ आसान और ठोस तरीके हैं जो आप चुनाव से पहले कर सकते हैं:
1) रिकॉर्ड देखें: पिछले कार्यकाल के दौरान स्थानीय विकास, बुनियादी सुविधाएँ और हितग्राही योजनाओं की सच्चाई जांचें।
2) अपराध और संपत्ति बयान चेक करें: उम्मीदवारों के जानकारी सार्वजनिक रजिस्टर में मिल जाती है। अपराध के मामले और संपत्ति वृद्धि देखें।
3) जनता से बात करें: पड़ोस, स्थानीय नेता और पत्रकार से पूछें—किसने क्या वादा पूरा किया और किसका काम सिर्फ दिखावा था।
4) पार्टी व राजनैतिक व्यवहार देखें: क्या परिवार का प्रभाव पार्टी के भीतर लोकतंत्र को दबा रहा है? क्या नई प्रतिभाओं को मौका मिलता है?
5) मीडिया‑ट्रैक और सोशल मीडिया की सच्चाई जांचें: बड़ी घोषणाएँ अक्सर वायरल होती हैं, पर कार्यवाही का सबूत ढूँढें — फंडिंग, परियोजनाओं के फोटो या सरकारी रिकॉर्ड।
राजनीतिक परिवार का होना अपने आप गलत नहीं है, पर जवाबदेही और पारदर्शिता जरूरी है। वोटिंग से पहले छोटे‑छोटे कदम फॉलो कर आप यह तय कर सकते हैं कि नाम ही काफी है या काम भी है। यही असली ताकत है—जानकारी के साथ वोट देना।
समाचार संग्रह पर इस टैग में आप पारिवारिक राजनीति से जुड़ी खबरें, नियुक्तियाँ, विवाद और स्थानीय असर वाली रिपोर्ट्स देखेंगे। अगर आप चाहते हैं कि हम किसी खास परिवार या मामले की गहराई से रिपोर्ट करें, तो सुझाव भेजें — हम उसे कवर करेंगे।
प्रिया सरोज की रिंकू सिंह से सगाई की अफवाहों ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है। हालांकि, उनके पिता तुफानी सरोज ने यह स्पष्ट किया है कि इनके बीच बातों का सिलसिला चल रहा है लेकिन कोई सगाई नहीं हुई है। प्रिया उत्तर प्रदेश के मछलीशहर क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं और एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आती हैं।
जून‑जुलाई 2025 में भारत की महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड में पहली बार T20I सीरीज 3‑2 से जीती। स्मृति मंदाना की शतक, अमनजोत कौर‑जेमिमा रोड्रिगेज की रफ़्तार और कप्तान हरमनप्रीत कौर के ODI शतक ने इस जीत को यादगार बनाया। यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए विदेशी जमीन पर नया मुकाम साबित हुई।
AIIMS जोधपुर के छात्र सचिन गोरा ने 2020 NEET-UG परीक्षा में डमी कैंडिडेट की मदद से 60 लाख की बड़ी ठगी को अंजाम दिया। पुलिस ने सचिन, डॉ. अजीत गोरा और डॉ. सुभाष सैनी को गिरफ्तार किया है। जांच में नियमों की गंभीर खामियां उजागर हो रही हैं।
सकट चौथा 2025, 17 जनवरी को, उत्तर भारत में माताएँ नीरजला व्रत रख कर गणेश से बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
मोटोरोला ने भारत में शक्तिशाली स्नैपड्रैगन 7s Gen 2 चिप से लैस मोटोरोला एज 50 फ्यूजन लॉन्च किया है। यह स्मार्टफोन 6.7 इंच FHD+ 10-बिट OLED एंडलेस एज डिस्प्ले, 144Hz रिफ्रेश रेट पैनल और कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 प्रोटेक्शन के साथ आता है। फोन में 5500mAh की बैटरी के साथ 68W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट है।
Sun Pharmaceutical Industries ने FY25 की चौथी तिमाही और पूर्ण वर्ष की कमाई घोषित की, राजस्व में 8% की बढ़ोतरी हुई जबकि शुद्ध लाभ 19% गिरा। कंपनी ने Rs 5.50 प्रति शेयर का अंतिम लाभांश प्रस्तावित किया, रिकॉर्ड डेट 7 जुलाई 2025 तय। घरेलू बिक्री में तेज़ी और एपीआई निर्यात में सुधार ने कुल बिक्री को 9% बढ़ाया। विशेष आय और पुनर्गठन खर्चों को हटाकर शुद्ध लाभ 4.8% बढ़ा। R&D में निरंतर निवेश कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति को समर्थन देता है।