संन्यास का नाम सुनते ही अक्सर त्याग, साधना और दुनिया से अलग जीवन की तस्वीर आती है। पर असल में संन्यास सिर्फ शरीर से अलग होना नहीं—यह सोच और प्राथमिकताओं में बदलाव है। कई लोग इसे धार्मिक नियम के रूप में लेते हैं, तो कुछ जीवन के किसी पड़ाव पर गहरी खोज और शांति के लिए चुनते हैं।
आम तौर पर संन्यास का उद्देश्य मन की इच्छा-लालसा को कम करना और आंतरिक शांति पाना होता है। पर हर व्यक्ति की यात्रा अलग होती है: कोई मठ-जुड़े जीवन चुनता है, तो कोई समाज सेवा या ध्यान के जरिए संन्यास जैसा जीवन जीता है।
संन्यास को समझने में मदद के लिए इसे कुछ सामान्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है। पहला, परंपरागत रीतियों वाला संन्यास जहाँ नया नाम, वस्त्र और अनुष्ठान होते हैं। दूसरा, गृहस्थ जीवन छोड़कर मठ या आश्रम में जाना—यह सबसे पारंपरिक रूप है। तीसरा, गृहस्थ रहते हुए भी आंतरिक संन्यास अपनाना, यानी दैनिक जीवन में कम आकर्षण, अधिक साधना और सेवा।
इसके अलावा, दुनिया के कई धर्मों में अलग-अलग मठीनुमा व्यवस्थाएँ हैं—जैसे बौद्ध भिक्षु, जैन साधु या ईसाई मठवासी। हर परंपरा में नियम अलग होते हैं, पर मकसद अक्सर आत्मशुद्धि और समुदाय के लिए सेवा ही रहता है।
आज के युग में संन्यास के मायने बदल रहे हैं। तेज़ जीवनशैली, सोशल मीडिया और आर्थिक जिम्मेदारियों ने पारंपरिक संन्यास चुनना मुश्किल कर दिया है। फिर भी कई लोग मानसिक शांति, न्यूनतम जीवन या सामाजिक सेवा को संन्यास का आधुनिक रूप मान रहे हैं।
एक चुनौती है भ्रामक धार्मिक नेताओं और नकली साधु। वे कभी-कभी लोगों की आस्था का दुरुपयोग कर देते हैं। सावधानी जरूरी है—किसी भी संन्यासी या आश्रम से जुड़ने से पहले उनकी पहचान, इतिहास और काम की पारदर्शिता जाँच लें।
दूसरी ओर, कई संन्यासी आज शिक्षा, स्वास्थ्य और किसान सहायता जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वे पारंपरिक पूजा-पाठ के साथ समाज सेवा भी करते हैं, जिससे संन्यास का सामाजिक स्वरूप भी दिखता है।
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महान पुर्तगाली डिफेंडर पेपे ने 33 मिनट के वीडियो के माध्यम से पेशेवर फुटबॉल से संन्यास की घोषणा की। अपने 23 साल के करियर में उन्होंने 34 ट्रॉफी जीतीं। उनकी अंतिम उपस्थिति राष्ट्रीय टीम के लिए यूरोपीय चैम्पियनशिप में फ्रांस के खिलाफ आई थी। पेपे ने अपने करियर की शुरुआत 2002 में मारीटिमो से की थी।
बंदी संजय कुमार, जो कारीमनगर से सांसद हैं, नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली है। उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से शुरू हुआ। उनकी नियुक्ति तेलंगाना बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
AIIMS जोधपुर के छात्र सचिन गोरा ने 2020 NEET-UG परीक्षा में डमी कैंडिडेट की मदद से 60 लाख की बड़ी ठगी को अंजाम दिया। पुलिस ने सचिन, डॉ. अजीत गोरा और डॉ. सुभाष सैनी को गिरफ्तार किया है। जांच में नियमों की गंभीर खामियां उजागर हो रही हैं।
सकट चौथा 2025, 17 जनवरी को, उत्तर भारत में माताएँ नीरजला व्रत रख कर गणेश से बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
भारत के राष्ट्रपति ने कई राज्यों के लिए नए राज्यपालों की नियुक्ति की है। इसमें पूर्व रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान को झारखण्ड का राज्यपाल, तमिलिसाई सौंदरराजन को तेलंगाना का राज्यपाल, रमेश बैस को झारखण्ड का राज्यपाल और फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। ये नियुक्तियां संबंधित राज्यों में शासन और प्रशासन को मजबूत बनाने के लिए की गई हैं।
अफगानिस्तान के स्टार ऑल-राउंडर मोहम्मद नबी ने 2025 में पाकिस्तान में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के बाद वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। 39 वर्षीय नबी ने 2009 में अपना पदार्पण किया था और उन्होंने 165 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें 3549 रन बनाए और 171 विकेट लिए। नबी टेस्ट क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके हैं और आगे भी T20 क्रिकेट खेलते रहेंगे।